Israel Iran Conflict: इजरायल ने आज यानी 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े हवाई हमले किए. इन हमलों में छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक और कई वरिष्ठ सैन्य नेता मारे गए. इस अभियान ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया. इजरायली सेना ने ‘राइजिंग लायन’ नाम से यह हमला शुरू किया. नतांज़ यूरेनियम संवर्धन स्थल और तेहरान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया.
इजरायल ने इसे ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने का कदम बताया. उन्होंने कहा कि उनके ओर से हमले समन्वित और सटीक निशाना किया गया है. हालांकि ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करना शुरू कर दिया है.
दोनों देशों के बीच किए जा रहे हमलों में छह प्रमुख ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हुई. इनमें फेरेदून अब्बासी, मोहम्मद मेहदी तेहरांची, अब्दुलहामिद मिनोचेहर, अहमदरेज़ा ज़ोलफ़ागरी, सैय्यद अमीरहुसैन फ़क़ी और मोतलाबिज़ादेह शामिल थे. इन सभी का नाम ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट से जुड़ा था. इनके नाम यू.एन. सुरक्षा परिषद के दस्तावेजों में भी दर्ज थे. हवाई हमलों में तीन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की भी मौत हुई. मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी, होसैन सलामी और ग़ुलाम अली रशीद मारे गए. ये नेता ईरान के सैन्य अभियानों के लिए अहम थे. उनकी मौत ने ईरान की सैन्य रणनीति को झटका दिया.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी. उन्होंने इसे कठोर प्रतिशोध का आधार बताया. ईरान ने ड्रोन और मिसाइलों से जवाबी कार्रवाई शुरू की. तनाव चरम पर पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने कहा कि नतांज़ से कोई विकिरण रिसाव नहीं हुआ. फिर भी, हमलों ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी. अमेरिका ने इस हमले में अपनी किसी भी सरह की सहमति पर असहमति जताई है. उसने क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका जताई. यूएस-ईरान परमाणु वार्ता अब खतरे में है. इन हमलों ने मध्य पूर्व की भू-राजनीति को हिला दिया. कई देशों ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी. तेल की कीमतें बढ़ रही हैं. हवाई यातायात पर भी असर पड़ा है. इजरायल ने हमलों को सही ठहराया, लेकिन वैश्विक समुदाय ने संयम की अपील की. संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठन स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. कूटनीतिक प्रयास तेज करने की मांग उठ रही है.