Iran-Israel war: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता और कतर की पहल ने ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव को थाम लिया. न्यूज़वीक की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, कतर पर ईरानी मिसाइल हमले के बाद शुरू हुई कूटनीतिक हलचल ने युद्ध को टाल दिया.
कतर के हमले ने बढ़ाया संकट
सोमवार मध्यरात्रि को ईरान ने दोहा के अमेरिकी एयरबेस पर छह मिसाइलें दागीं, जिससे कतर में दहशत फैल गई. इसके बाद कतर के अमीर और प्रधानमंत्री ने तुरंत अमेरिका से मदद मांगी. न्यूज़वीक के अनुसार, कतर की अपील पर ट्रंप ने अपने मध्यपूर्व दूत विटकॉफ को सक्रिय किया. विटकॉफ ने ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघाची से सीधे बात की.
अराघाची ने शर्त रखी कि इज़राइल पहले हमले रोके, क्योंकि युद्ध की शुरुआत उसी ने की थी. विटकॉफ ने आश्वासन दिया कि इज़राइल अगले 24 घंटों तक कोई हमला नहीं करेगा. इस भरोसे के बाद व्हाइट हाउस ने सीज़फायर की घोषणा की.
आगे क्या?
इज़राइल और अमेरिका का लक्ष्य ईरान के यूरेनियम संवर्धन को नष्ट करना था. अमेरिका ने तीन ईरानी परमाणु साइटों पर हमले किए, लेकिन ईरान का दावा है कि वहां यूरेनियम था ही नहीं. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, हमले से पहले ईरान ने 400 किलोग्राम यूरेनियम को गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था.
इज़राइल का अनुमान है कि ईरान अगले एक-दो साल तक परमाणु बम नहीं बना पाएगा. हालांकि, भविष्य ईरान की अगली रणनीति पर निर्भर करता है. कूटनीति ने फिलहाल युद्ध टाल दिया, लेकिन क्षेत्रीय तनाव बरकरार है.