UN General Assembly 2025: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं बैठक के लिए भारत से एक उच्चस्तरीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल न्यूयॉर्क पहुंच चुका है. इस बहुदलीय दल का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद पी.पी. चौधरी कर रहे हैं. यह दल 14 अक्टूबर तक न्यूयॉर्क में रहेगा और वैश्विक मंच पर भारत के दृष्टिकोण और लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रस्तुत करेगा.
कौन-कौन हैं प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद?
इस प्रतिनिधिमंडल में कुल 15 सांसद शामिल हैं, जो विभिन्न राजनीतिक दलों से आते हैं . यह भारत की संसदीय विविधता और लोकतांत्रिक एकता का प्रतीक है. भाजपा की ओर से अनिल बलूनी, निशिकांत दुबे और उज्ज्वल निकम शामिल हैं. कांग्रेस पार्टी से विवेक तन्खा और कुमारी शैलजा, समाजवादी पार्टी से राजीव राय और आरएसपी (रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी) से एन.के. प्रेमचंद्रन इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं. यह बहुदलीय दल न केवल भारत की राजनीतिक विविधता को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक एकजुट भारत की तस्वीर भी पेश करता है.
UN में भारत का पक्ष मजबूती से रखने की तैयारी
भाजपा सांसद डी. पुरंदेश्वरी ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा एक ऐसा वैश्विक मंच है, जहां शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार, विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा होती है. भारत की ओर से इन विचार-विमर्शों में भाग लेना गर्व की बात है.” प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न सत्रों में हिस्सा लेगा, भारत के स्थायी मिशन के अधिकारियों के साथ संवाद करेगा और वैश्विक स्तर पर भारत की लोकतांत्रिक और विकासशील सोच को सामने रखेगा.
भारत की संसदीय कूटनीति का उदाहरण
आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह गैर-आधिकारिक संसदीय प्रतिनिधिमंडल सांसदों को अंतरराष्ट्रीय नीति निर्माण की प्रक्रिया को समझने और भारत की लोकतांत्रिक आवाज को विश्व के सामने लाने का अवसर प्रदान करता है. यह भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और संसदीय कूटनीति की मजबूती को रेखांकित करता है. समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने कहा कि इस प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की भागीदारी भारत की “संतुलित लोकतांत्रिक सोच” को उजागर करती है.
भारत और संयुक्त राष्ट्र महासभा का ऐतिहासिक रिश्ता
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) दुनिया की सबसे बड़ी और प्रभावशाली संस्था है, जिसमें 193 सदस्य देश शामिल हैं. यहां वैश्विक नीतियों पर बहस होती है, प्रस्ताव पारित किए जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर अहम निर्णय लिए जाते हैं. भारत का UNGA में संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का लंबा और गौरवशाली इतिहास रहा है.
2004 तक यह परंपरा जारी रही, जिसके तहत देश के वरिष्ठ नेता जैसे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भी संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. इस बार का भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भारत की लोकतांत्रिक शक्ति, राजनीतिक विविधता और वैश्विक जिम्मेदारी का प्रतीक बनकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा ले रहा है. उम्मीद है कि यह दल विश्व मंच पर भारत की छवि को और सशक्त करेगा तथा भारत की नीतिगत प्रतिबद्धताओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेगा.