भारत ने जून 2025 में रूसी तेल आयात बढ़ाया, मिल रहे भारी डिस्काउंट

भारत ने जून 2025 में रूसी कच्चे तेल के प्रति दिन 20 से 22 लाख बैरल तक पहुंच गया है. यह पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक है. रूस द्वारा दी जा रही भारी छूट और भू-राजनीतिक तनावों के कारण रूसी तेल ने मध्य पूर्व के आपूर्तिकर्ताओं को पीछे छोड़ दिया है.

Date Updated
फॉलो करें:

India Russian Oil Imports: भारत ने जून 2025 में रूसी कच्चे तेल के प्रति दिन 20 से 22 लाख बैरल तक पहुंच गया है. यह पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक है. रूस द्वारा दी जा रही भारी छूट और भू-राजनीतिक तनावों के कारण रूसी तेल ने मध्य पूर्व के आपूर्तिकर्ताओं को पीछे छोड़ दिया है.

वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म केप्लर के अनुसार, यह आयात मध्य पूर्वी देशों- सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से होने वाले कुल आयात से अधिक है.

डिस्काउंट ने बदली भारत की रणनीति

रूस का यूराल्स क्रूड तेल पश्चिमी अफ्रीकी और मध्य पूर्वी तेल की तुलना में काफी सस्ता है. मई 2025 में यूराल्स की औसत कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल थी, जो पश्चिमी देशों द्वारा निर्धारित 60 डॉलर की कीमत सीमा से काफी कम है. इस कीमत लाभ ने भारतीय रिफाइनरियों के लिए बेहतर मार्जिन सुनिश्चित किया है.

इसके अलावा, इजरायल-ईरान तनाव के बीच स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में संभावित व्यवधानों से बचने के लिए भारत ने रूसी तेल पर निर्भरता बढ़ाई, जो सुएज नहर या केप ऑफ गुड होप जैसे वैकल्पिक मार्गों से आता है.

आर्थिक और रणनीतिक लाभ

भारत ने जून में अमेरिका से भी तेल आयात बढ़ाया, जो मई के 2.80 लाख बैरल प्रतिदिन से बढ़कर 4.39 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया. यह भारत की विविधीकरण रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भू-राजनीतिक जोखिमों को कम करना है.

यदि होर्मुज में तनाव बढ़ता है, तो भारत नाइजीरिया, अंगोला और ब्राजील जैसे देशों की ओर रुख कर सकता है, हालांकि इसमें माल ढुलाई लागत अधिक होगी. भारत के पास 9-10 दिनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए रणनीतिक भंडार भी उपलब्ध हैं.

रूसी तेल की बढ़ती हिस्सेदारी भारत की ऊर्जा नीति में आर्थिक व्यावहारिकता को दर्शाती है. यह रणनीति न केवल लागत बचत सुनिश्चित करती है, बल्कि वैश्विक तेल बाजार की अस्थिरता से भारत को सुरक्षित रखती है.