India–Cyprus relations: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा ने वैश्विक कूटनीति में नया अध्याय जोड़ा है. साइप्रस सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान 'द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III' से नवाजा.
पीएम मोदी ने इस सम्मान को 140 करोड़ भारतीयों की उपलब्धि बताते हुए कहा, "यह सम्मान मेरा नहीं, बल्कि भारत और साइप्रस की चिरस्थायी मित्रता का प्रतीक है." इस यात्रा ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती दी, बल्कि क्षेत्रीय शांति और समृद्धि के लिए नए रास्ते भी खोले.
तुर्की की बढ़ी चिंता
साइप्रस और तुर्की के बीच लंबे समय से तनाव है, खासकर 1974 के साइप्रस संकट के बाद. तुर्की, जो पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, भारत की इस कूटनीतिक सफलता से असहज है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव और साइप्रस का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन तुर्की के लिए चिंता का कारण है.
आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को नई दिशा
पीएम मोदी ने साइप्रस के साथ मेडिटरेनियन क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया. भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) क्षेत्र में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा. इसके अलावा, आतंकवाद, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के खिलाफ साइप्रस के समर्थन और रीयल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग के लिए सहमति भारत की सुरक्षा नीतियों को और मजबूत करेगी.
साइप्रस द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुधारों और भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन ने वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और सशक्त किया है. पीएम मोदी ने साइप्रस के लोगों और सरकार के प्रेम और समर्थन की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देश मिलकर एक बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान देंगे.