Hamas commander: गाज़ा में इज़राइल और हमास के बीच चल रही जंग अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है.शांति होगी या जंग जारी रहेगी, यह फैसला सिर्फ एक व्यक्ति के हाथ में है. हमास का आखिरी सैन्य कमांडर इज अल दीन-हदाद, जिसे संगठन के भीतर अबू सुहैब के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में शांति का प्रस्ताव दिया है और उस पर अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी हदाद को सौंपी गई है.
ट्रंप का शांति प्रस्ताव और 4 दिन की मोहलत
अमेरिका, मिस्र और कतर ने मिलकर युद्धविराम के लिए एक 20 सूत्रीय शांति योजना तैयार की है.इस प्रस्ताव को मध्यस्थों के जरिए हदाद तक पहुंचाया गया है.अमेरिका की ओर से हमास को जवाब देने के लिए चार दिन का समय दिया गया है.अगर हदाद इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो गाज़ा में युद्धविराम लागू हो सकता है.
कौन हैं इज अल दीन-हदाद?
इज अल दीन-हदाद वर्तमान में हमास के सबसे बड़े और आखिरी सैन्य कमांडर माने जाते हैं.याह्या सिनवार की हत्या के बाद उन्होंने संगठन की बागडोर संभाली.
हमास के संस्थापक सदस्य: हदाद ने 1987 में हमास जॉइन किया था.
अबू सुहैब के नाम से मशहूर: संगठन के भीतर उन्हें यही नाम दिया जाता है.
परिवार की कुर्बानी: फिलिस्तीन की लड़ाई में उनका पूरा परिवार शहीद हो चुका है.
सैन्य रणनीति के माहिर: गुप्त सुरंगों और अंडरग्राउंड ऑपरेशंस में हदाद का कोई सानी नहीं है.वे गाज़ा से तुर्की और कतर तक गुप्त यात्रा करते रहे हैं.
अक्टूबर 2023 का हमला और सुहैब की भूमिका
अक्टूबर 2023 में जब हमास और हिजबुल्लाह ने इज़राइल पर संयुक्त हमला किया था, उस समय गाज़ा डिवीजन की कमान हदाद यानी सुहैब के हाथों में थी.उन्होंने पूरे ऑपरेशन की अगुवाई की थी और इज़राइल के खिलाफ रणनीतिक हमलों की रूपरेखा तैयार की थी.
ट्रंप के प्रस्ताव से क्यों नाराज हैं सुहैब?
बीबीसी अरबी की रिपोर्ट के अनुसार, हदाद शांति समझौते के अमेरिकी प्रस्ताव से बेहद नाराज हैं.उनकी टीम के साथ हुई बैठक में उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकराने की इच्छा जाहिर की है.
सुहैब का कहना है कि अगर अमेरिका और इज़राइल की योजना हमास को मिटाने की ही है, तो फिर हमास लड़ते-लड़ते खत्म होगा, न कि शांति प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करके.
कतर और मिस्र की कोशिशें
मिस्र और कतर, दोनों ही देश चाहते हैं कि हदाद किसी तरह युद्धविराम को मंजूरी दें.कतर ने इस मामले में अमेरिका से सीधा संपर्क भी साधा है.लेकिन हदाद की जिद और उनकी कड़े रुख के चलते स्थिति जटिल बनी हुई है.
गाज़ा में जंग का भविष्य अब इज अल दीन-हदाद के फैसले पर निर्भर है.अगर वह मान जाते हैं, तो मध्य-पूर्व में शांति की एक नई शुरुआत हो सकती है.लेकिन अगर उन्होंने इंकार कर दिया, तो गाज़ा की आग और भड़क सकती है.