Dalai Lama's rebirth: तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो 6 जुलाई 2025 को 90 साल के हो जाएंगे. इस मौके पर वे धर्मशाला में अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर सकते हैं.
दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि 15वें दलाई लामा का चयन गादेन फोडरंग ट्रस्ट करेगा, जो 600 साल पुरानी परंपरा को जारी रखेगा. यह बयान चीन के लिए कड़ा संदेश है, जो दलाई लामा को अलगाववादी मानता है और उनके चयन में हस्तक्षेप करना चाहता है. आइए जानते हैं कि पुनर्जन्म के बाद दलाई लामा की पहचान कैसे होती है.
दलाई लामा की खोज की प्रक्रिया
तिब्बती बौद्ध धर्म में मान्यता है कि दलाई लामा की आत्मा मृत्यु के बाद एक शिशु के रूप में पुनर्जन्म लेती है. इसकी खोज एक जटिल और आध्यात्मिक प्रक्रिया के तहत होती है. जब दलाई लामा का देहांत होता है, तो वरिष्ठ भिक्षु और खोजी दल भविष्यवाणियों, सपनों, और पवित्र झीलों में दिखने वाले दृश्यों जैसे संकेतों का अध्ययन करते हैं. इसके अलावा, दिवंगत दलाई लामा के शव की दिशा भी एक महत्वपूर्ण संकेत मानी जाती है.
अवतार की पहचान का परीक्षण
संभावित बच्चे की पहचान होने पर उसे पिछले दलाई लामा की वस्तुएं, जैसे माला, छड़ी या कपड़े, दिखाए जाते हैं. यदि बच्चा इन वस्तुओं को पहचान लेता है और "यह मेरा है" कहता है, तो उसे पुनर्जन्म माना जाता है. उदाहरण के लिए, तेनजिन ग्यात्सो को दो वर्ष की आयु में 13वें दलाई लामा की वस्तुओं को पहचानने के बाद चुना गया था.
शिक्षा और दीक्षा
चयन के बाद, नए दलाई लामा को बौद्ध धर्म, तिब्बती संस्कृति, और दर्शन की गहन शिक्षा दी जाती है. यह प्रक्रिया उन्हें आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारियों के लिए तैयार करती है. दलाई लामा करुणा, अहिंसा, और ज्ञान के प्रतीक हैं, जो तिब्बती पहचान और निर्वासित समुदाय की आशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.