Dalai Lama: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी की पहचान एक विशेष ट्रस्ट द्वारा की जाएगी, जिसमें निर्वासित तिब्बती सरकार और अन्य आध्यात्मिक हितधारक शामिल होंगे. दलाई लामा ने साफ कहा कि यह प्रक्रिया चीन सरकार के नियंत्रण से मुक्त होगी. इस बयान ने पुनर्जन्म की सदियों पुरानी तिब्बती परंपरा को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है.
चीन का कड़ा रुख
भारत में चीन के राजदूत शू फेईहोंग ने दलाई लामा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा, "दलाई लामाओं का पुनर्जन्म न तो वर्तमान दलाई लामा से शुरू हुआ और न ही उनके साथ समाप्त होगा." उन्होंने इसे 700 साल पुरानी धार्मिक परंपरा बताया और कहा कि यह किसी एक व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. चीन ने 2007 के अपने कानून का हवाला देते हुए दावा किया कि पुनर्जन्म की मान्यता के लिए केंद्रीय सरकार की मंजूरी अनिवार्य है.
तिब्बती बौद्ध परंपरा पर चीन का दावा
चीन के अनुसार, 'लिविंग बुद्धा पुनर्जन्म प्रणाली' तिब्बती बौद्ध धर्म की एक अनूठी परंपरा है, जो तिब्बत और सिचुआन, युन्नान, गांसू, छिंगहाई जैसे क्षेत्रों में आज भी सक्रिय है. बीजिंग का कहना है कि इन क्षेत्रों में 1,000 से अधिक पुनर्जन्म परंपराएं जीवित हैं.
तिब्बती समुदाय का विरोधदलाई लामा और तिब्बती समुदाय ने चीन के दावों को सिरे से खारिज किया है. उनका मानना है कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया आध्यात्मिक और धार्मिक है, जिस पर किसी सरकार का नियंत्रण नहीं हो सकता. यह विवाद तिब्बत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव को और गहरा रहा है.