Chinese loan: पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद अब बांग्लादेश भी चीन के कर्ज के जाल में फंसता नजर आ रहा है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने चीन से 6700 करोड़ टका का कर्ज लेने का निर्णय लिया है, जिसका उपयोग तीस्ता मेगा परियोजना के विकास में किया जाएगा.
यह परियोजना भारत और बांग्लादेश के बीच साझा तीस्ता नदी से जुड़ी है, जिसके कारण इसका सामरिक और पर्यावरणीय महत्व और भी बढ़ जाता है. बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की हालिया चीन यात्रा के बाद इस परियोजना की गति तेज हो गई है, और इस साल के अंत तक दोनों देशों के बीच वित्तीय समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.
भारत की रुचि और शेख हसीना का रुख
पहले शेख हसीना की अगुआई वाली अवामी लीग सरकार इस परियोजना को भारत के साथ शुरू करना चाहती थी. मई 2024 में भारत के पूर्व विदेश सचिव विनय क्वात्रा की बांग्लादेश यात्रा के दौरान भारत ने तीस्ता परियोजना में निवेश की इच्छा जताई थी.
शेख हसीना ने 14 जुलाई 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "चीन इस परियोजना के लिए तैयार है, लेकिन मैं चाहती हूं कि भारत इसे संभाले." हालांकि, अगस्त 2024 में बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी, जिससे परियोजना की दिशा बदल गई.
तीस्ता परियोजना का महत्व
तीस्ता परियोजना बांग्लादेश के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण है. यह नदी तट के कटाव को कम करेगी, जो मानसून से पहले और बाद में एक बड़ी समस्या है.
तीसरा, गर्मियों में नदी के जल प्रवाह को बढ़ाकर सूखे की स्थिति से निपटने में मदद मिलेगी. तीस्ता नदी बांग्लादेश में 115 किमी तक बहती है, जिसमें 45 किमी क्षेत्र कटाव से प्रभावित है, और 20 किमी क्षेत्र में स्थिति अत्यंत गंभीर है.
भारत-बांग्लादेश जल विवाद
तीस्ता नदी भारत और बांग्लादेश के बीच एक ट्रांसबाउंड्री नदी है, जो भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होकर बांग्लादेश में प्रवेश करती है. इस नदी के जल बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है. 1983 में एक अस्थायी समझौता हुआ था, जिसमें भारत को 39% और बांग्लादेश को 36% पानी आवंटित किया गया था.
हालांकि, 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान प्रस्तावित स्थायी समझौता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्तियों के कारण रुक गया. तीस्ता बेसिन सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक होने के कारण सामरिक दृष्टि से संवेदनशील है. भारत इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर चिंतित है. बांग्लादेश का चीन की ओर झुकाव भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है.