ईरान पर अमेरिका-इजराइल का संभावित हमला, तीन बड़े संकेतों से समझें स्थिति

मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव अपने चरम पर है. जून 2025 में ईरान और इजराइल के बीच हुई 12 दिन की भीषण जंग के बाद, अब दो महीने के युद्धविराम के बाद फिर से युद्ध की आशंका बढ़ रही है. तेहरान, तेल अवीव और वाशिंगटन से मिल रहे संकेतों ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है.

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Iran War: मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव अपने चरम पर है. जून 2025 में ईरान और इजराइल के बीच हुई 12 दिन की भीषण जंग के बाद, अब दो महीने के युद्धविराम के बाद फिर से युद्ध की आशंका बढ़ रही है. तेहरान, तेल अवीव और वाशिंगटन से मिल रहे संकेतों ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. आइए, तीन प्रमुख संकेतों के जरिए समझते हैं कि क्या ईरान पर अमेरिका और इजराइल का बड़ा हमला होने वाला है.

डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य तैनाती

न्यूजवीक की सैटेलाइट इमेज विश्लेषण के अनुसार, अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित अपने रणनीतिक नौसैनिक अड्डे डिएगो गार्सिया पर फिर से सैनिकों और युद्धपोतों की तैनाती शुरू कर दी है. यह वही अड्डा है, जहां से पिछली बार ईरान पर हमले से पहले अमेरिका ने अपनी सैन्य तैयारियां की थीं.

डिएगो गार्सिया की भौगोलिक स्थिति इसे ईरान और चीन की निगरानी के लिए आदर्श बनाती है. इस अड्डे से 2,000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन दोनों देशों पर नजर रखना आसान है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तैनाती युद्ध की तैयारियों का हिस्सा हो सकती है.

ईरान के सैन्य सलाहकार की चेतावनी

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के सैन्य सलाहकार और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के वरिष्ठ जनरल याह्या रहीम सफवी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि ईरान युद्धविराम की स्थिति में नहीं, बल्कि युद्ध की स्थिति में है. उन्होंने कहा कि इजराइल के साथ किसी भी समय युद्ध शुरू हो सकता है, क्योंकि कोई लिखित समझौता मौजूद नहीं है. ईरान के उपराष्ट्रपति ने भी दावा किया है कि यदि युद्ध हुआ, तो ईरान की जीत निश्चित है और इजराइल को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

यूरेनियम विवाद और क्षेत्रीय तनाव

अमेरिका और इजराइल ने ईरान को अपने यूरेनियम भंडार को खत्म करने के लिए अगस्त 2025 तक की समय सीमा दी थी. हालांकि, ईरान ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अधिकारियों को तेहरान बुलाया, लेकिन यूरेनियम से संबंधित कोई ठोस जानकारी साझा नहीं की. इसके अलावा, लेबनान और यमन ने ईरान पर क्षेत्र में उकसावे की कार्रवाई का आरोप लगाया है. इन घटनाओं ने मध्य पूर्व में तनाव को और गहरा कर दिया है.

जून 2025 की जंग का प्रभाव

जून 2025 में हुई 12 दिन की जंग में ईरान को भारी नुकसान हुआ था. इस दौरान एक दर्जन से अधिक परमाणु वैज्ञानिक और सैन्य कमांडर मारे गए थे, साथ ही 600 से ज्यादा आम नागरिकों की जान गई थी. इजराइल को भी इस जंग में काफी क्षति उठानी पड़ी थी. यह युद्ध क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को और जटिल बनाने का कारण बना था.

क्या युद्ध अपरिहार्य है?

मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और इन तीन संकेतों ने वैश्विक मंच पर चिंता बढ़ा दी है. डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य तैनाती, ईरान के सैन्य सलाहकार की चेतावनी और यूरेनियम विवाद ने युद्ध की आशंका को बल दिया है. वैश्विक समुदाय अब इस क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए कूटनीतिक प्रयासों की प्रतीक्षा कर रहा है.