बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा मानवता के खिलाफ अपराध मामले में गैरहाजिरी में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद वैश्विक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं. भारत में भी इस फैसले ने राजनीतिक बहस तेज कर दी है.
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने निर्णय पर गहरी आपत्ति जताई और कहा कि किसी भी आरोपी को बिना उचित बचाव का अवसर प्रदान किए मौत की सजा सुनाना न्यायिक सिद्धांतों के विरुद्ध है और इसे किसी भी रूप में सकारात्मक नहीं माना जा सकता.
थरूर ने गैरहाजिरी में चलाए गए मुकदमे को बताया चिंताजनक
थरूर के मुताबिक, वे दुनिया के किसी भी हिस्से में मृत्युदंड का समर्थन नहीं करते. उन्होंने कहा,
“बिना आरोपी की उपस्थिति और बिना उसे अपना पक्ष रखने का मौका दिए किसी को मौत की सजा सुनाना बेहद असहज करने वाला है. भले ही किसी अन्य देश की अदालत पर टिप्पणी करना सही नहीं, फिर भी यह फैसला गंभीर चिंता पैदा करता है.”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता और निष्पक्षता लोकतंत्र की नींव होती हैं, और ऐसे मामलों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सतर्क रहकर निगरानी रखनी चाहिए.
WATCH | Delhi | On ousted Bangladeshi Prime Minister Sheikh Hasina being convicted by a Bangladeshi Court, Congress MP Shashi Tharoor says, "Both domestically and abroad, I don't believe in the death penalty... Trial in absentia, when somebody doesn't get a chance to defend… pic.twitter.com/vksxisNrMK
— ANI (@ANI) November 17, 2025
ICT की सजा और पृष्ठभूमि
ढाका स्थित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को 2023 के छात्र प्रदर्शनों के दौरान हुए कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए दोषी ठहराया. अगस्त 2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद शेख हसीना भारत में रह रही हैं और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उन्हें फरार घोषित कर चुकी है.
शेख हसीना का आरोप
दिल्ली में रह रहीं 78 वर्षीय हसीना ने अदालत के निर्णय को राजनीतिक प्रतिशोध बताया. उनका कहना है कि मौजूदा ‘गैर-निर्वाचित सरकार’ न्यायिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है.
हसीना का आरोप है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य उन्हें राजनीति से बाहर करना और उनकी पार्टी अवामी लीग को कमजोर करना है. उनका दावा है कि सरकार जानबूझकर कठोर सजा की मांग कर रही है ताकि देश के राजनीतिक समीकरण बदल सकें.
ICC में सुनवाई की मांग
हसीना ने कहा कि वह आरोपों से भाग नहीं रही हैं, लेकिन निष्पक्ष सुनवाई चाहती हैं. यदि मामला हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) तक जाता है, तो अधिक स्वतंत्र और पारदर्शी जांच संभव होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अवामी लीग को फरवरी में होने वाले आम चुनावों से दूर रखने का प्रयास लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर सीधा प्रहार है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है. वहीं भारत सहित दक्षिण एशिया के कई देश यह देखने को बारीकी से निगाह रख रहे हैं कि आगे कानूनी और राजनीतिक घटनाक्रम किस दिशा में बढ़ते हैं और इसका क्षेत्रीय स्थिरता पर क्या असर पड़ता है.