US airstrikes: हाल ही में हुए अमेरिकी हवाई हमलों ने वैश्विक कूटनीति में भूचाल ला दिया है. खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के लिए पाकिस्तान के सैन्य अड्डों का इस्तेमाल किया.
यह खुलासा ईरान और पाकिस्तान के बीच विश्वास को गहरा आघात पहुंचाने वाला है, क्योंकि दोनों देश पड़ोसी होने के साथ-साथ कई क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोगी रहे हैं. इस कथित विश्वासघात ने मध्य पूर्व में पहले से तनावपूर्ण स्थिति को और जटिल कर दिया है.
पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल
सूत्रों का दावा है कि अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के हवाई अड्डों से उड़ान भरकर ईरान के फोर्डो, नटंज और इस्फहान जैसे प्रमुख परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया. इससे पाकिस्तान की नीयत पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.
ईरानी सैन्य खुफिया एजेंसी ने दावा किया कि पाकिस्तान ने गुप्त रूप से अमेरिका के साथ समझौता किया था, जिसके तहत उसने अपने सैन्य अड्डों और हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दी. यह कदम ईरान के लिए अप्रत्याशित और विश्वासघात से कम नहीं है.
क्षेत्रीय प्रभाव
इस घटना ने न केवल ईरान-पाकिस्तान संबंधों को तनावग्रस्त किया है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता पर भी गहरा असर डाला है. ईरान ने अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी हमले की धमकी दी है, जिसमें हॉरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने की चेतावनी भी शामिल है. पाकिस्तान की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस घटना ने वैश्विक शक्तियों के बीच नए गठबंधनों और तनावों को जन्म दे दिया है.
यह विवाद मध्य पूर्व में युद्ध के खतरे को बढ़ा सकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर नजर रखे हुए है, और कूटनीतिक समाधान की उम्मीद कमजोर पड़ रही है. क्या पाकिस्तान इस विश्वासघात के लिए माफी मांगेगा, या यह क्षेत्रीय संघर्ष का नया मोड़ लेगा? समय ही बताएगा.