Sanjay Nishad: उत्तर प्रदेश के कई जिले गंगा और यमुना नदियों के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हैं. कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी में बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया. निचले इलाकों में पानी घरों तक पहुंच गया. इस बीच, मत्स्य पालन मंत्री संजय निषाद की एक टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया.
कानपुर देहात के भोगनीपुर तहसील में बाढ़ प्रभावित गांव का दौरा करने गए संजय निषाद ने गंगा के पानी को 'आशीर्वाद' बताया. एक वायरल वीडियो में, एक ग्रामीण ने बताया कि पानी उनकी छाती तक पहुंच गया. जवाब में निषाद ने कहा कि तुम गंगा की संतान हो. मां गंगा अपने बच्चों के पैर धोने तुम्हारे द्वार आती हैं. यह तुम्हें स्वर्ग ले जाएगा. उन्होंने बाढ़ के पानी घर तक पहुंचना सौभाग्य बताया.
निषाद की टिप्पणी पर एक बुजुर्ग महिला ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अगर यह आशीर्वाद है, तो आपको भी यहीं रहना चाहिए और गंगा का आशीर्वाद लेना चाहिए. यह स्पष्ट नहीं है कि यह टिप्पणी मंत्री के लिए थी या अधिकारियों के लिए. स्थानीय लोगों ने बताया कि भोगनीपुर में गंगा नहीं, यमुना बहती है. विपक्षी दलों ने निषाद की टिप्पणी को असंवेदनशील बताया.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सर्वेंद्र बिक्रम सिंह ने कहा कि यह बयान सरकार की नाकामी को दर्शाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बाढ़ पीड़ितों को राहत देने में विफल रही. कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इसे 'आस्था का अपमान' बताया. उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी जनता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती है. विवाद बढ़ने पर संजय निषाद ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी हल्के-फुल्के अंदाज में थी. निषाद ने कहा कि मैं बाढ़ प्रभावित लोगों को भावनात्मक समर्थन देना चाहता था. बाढ़ का पानी रोकना संभव नहीं है. सकारात्मक सोच जरूरी है. उन्होंने विपक्ष पर नकारात्मकता फैलाने का आरोप लगाया.
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई है. उत्तराखंड में भारी बारिश से भूस्खलन हुआ, जिसमें पांच लोग मारे गए. कई लोग अभी भी लापता हैं. कानपुर देहात में यमुना का जलस्तर बढ़ने से गांव जलमग्न हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज करने की जरूरत है. निषाद की टिप्पणी ने जहां विवाद खड़ा किया, वहीं सरकार पर लोगों की मदद का दबाव बढ़ गया है. जनता अब ठोस कदमों की उम्मीद कर रही है. हालांकि इस समय भारत के कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति है.