कानपुर रामलीला विवाद पर अखिलेश यादव का तंज, बोले – 'कट्टा नहीं, रावण बनने के लिए कर रहे थे आवेदन'

Kanpur Ramlila Controversy: कानपुर में रामलीला के दौरान बीजेपी युवा मोर्चा के एक नेता द्वारा पिस्टल तानने की घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रकरण पर बीजेपी पर तीखा कटाक्ष किया है.

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Kanpur Ramlila Controversy: कानपुर में रामलीला के दौरान बीजेपी युवा मोर्चा के एक नेता द्वारा पिस्टल तानने की घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रकरण पर बीजेपी पर तीखा कटाक्ष किया है.

उन्होंने अपने एक्स (X) हैंडल पर लिखा, “अब भाजपाई कहेंगे हमारे पट्टाधारी कार्यकर्ता कट्टा नहीं तान रहे थे, बल्कि रावण बनने के लिए आवेदन कर रहे थे और खलनायक की भूमिका हेतु अपने चरित्र की उपयोगिता सिद्ध कर रहे थे. इन्हें तो अभिनय की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी क्योंकि इनके दल में तो हर दिन का यही काम है, इस खलकर्म में तो ये बेहद सिद्धहस्त हैं.”

अखिलेश यादव के इस बयान ने सोशल मीडिया पर जोरदार चर्चा छेड़ दी है, जहां यूज़र्स बीजेपी नेताओं के आचरण पर सवाल उठा रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

यह मामला कानपुर के सचेंडी थाना क्षेत्र के भौती गांव का है, जहां रामलीला कार्यक्रम चल रहा था. बताया जा रहा है कि इस आयोजन में बीजेपी युवा मोर्चा से जुड़े अमितेश शुक्ला पहुंचे थे. मंचन के दौरान उन्होंने कथित तौर पर नृत्य कर रही महिला कलाकारों पर नोट उड़ाने शुरू कर दिए. जब कुछ लोगों ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने पिस्टल निकालकर धमकी दी और हंगामा मचा दिया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया.

पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार

इस पूरे प्रकरण पर अपर पुलिस उपायुक्त पश्चिम कपिल देव सिंह ने बताया कि वायरल वीडियो की जांच में युवक की पहचान अमितेश शुक्ला के रूप में हुई है. पुलिस ने आरोपी को अवैध असलहे सहित गिरफ्तार कर लिया है और मामला दर्ज किया गया है.

हालांकि, अभी तक उसके राजनीतिक संबंधों के ठोस सबूत नहीं मिले हैं. पुलिस अब पिस्टल के स्रोत और अन्य तथ्यों की जांच कर रही है.

बीजेपी की चुप्पी

इस घटना पर विपक्ष, विशेषकर समाजवादी पार्टी, ने बीजेपी पर कानून व्यवस्था और नैतिकता को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं. हालांकि, अब तक बीजेपी की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.

कानपुर की यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सियासी मंच पर भी एक नई बहस छेड़ गई है. अखिलेश यादव के तंज के बाद यह मामला अब राजनीतिक रूप से और भी गरमाता दिख रहा है.