Punjab jails: पंजाब सरकार ने ‘ड्रग-फ्री पंजाब’ के लक्ष्य की ओर एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य की जेलों में ड्रग तस्करी और आपराधिक गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में सोमवार, 13 अक्टूबर को हुई कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान के तहत छह प्रमुख केंद्रीय जेलों में छह विशेष रूप से प्रशिक्षित स्निफर डॉग्स की तैनाती की जाएगी.
ये लेब्राडोर रिट्रीवर्स नस्ल के “सुपर स्निफर्स” होंगे, जिन्हें बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के उन्नत कैनाइन कार्यक्रम से खरीदा जाएगा. इनका मुख्य उद्देश्य जेलों में चल रहे नशे और प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी पर रोक लगाना है. ये डॉग्स हेरोइन, अफीम डेरिवेटिव्स, स्थानीय ‘लाहन’, मोबाइल फोन, ड्रोन और अन्य अवैध सामान की गंध पहचानने में सक्षम होंगे.
विजिटर्स की बॉडी-बैगेज सर्च
सरकार के अनुसार, इन ‘सुपर स्निफर्स’ की तैनाती से न केवल जेलों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि कैदियों और आगंतुकों के बीच नशे का जाल भी पूरी तरह टूट जाएगा. विजिटर्स की बॉडी-बैगेज सर्च और सरप्राइज इंस्पेक्शन बढ़ाए जाएंगे, ताकि जेलों के भीतर किसी भी तरह का अवैध लेनदेन न हो सके.
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया, “ये स्निफर डॉग्स ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान में एक फोर्स मल्टीप्लायर साबित होंगे. हर डॉग को इस विशेष उद्देश्य के लिए प्रशिक्षित किया गया है, ताकि जेलों में नशे की सप्लाई चेन पूरी तरह खत्म की जा सके. हमारी नीति है ‘जीरो टॉलरेंस फॉर ड्रग्स.’”
हाल ही में की गई जेल जांचों से पता चला है कि पंजाब की 24 जेलों में से 15 में ड्रग तस्करी के नेटवर्क सक्रिय थे. चिंताजनक तथ्य यह भी है कि राज्य की जेलों में बंद 42% कैदी NDPS एक्ट के तहत गिरफ्तार हैं. कई मामलों में जेल स्टाफ की मिलीभगत से ड्रोन, मोबाइल फोन और विजिटर्स के जरिए नशा जेलों में पहुंच रहा था. अब सरकार ने साफ कर दिया है कि यह दौर खत्म होगा.
पंजाब ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट एक्ट
पहले चरण में ये प्रशिक्षित डॉग्स लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, नाभा, बठिंडा और फिल्लौर जैसी प्रमुख जेलों में तैनात किए जाएंगे. जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “इन डॉग्स की उपस्थिति न केवल नशे के खिलाफ सख्ती लाएगी बल्कि कैदियों को सुधार की राह पर भी प्रेरित करेगी.”
खरीद प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने पंजाब ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट एक्ट, 2019 की धारा 63(1) के तहत विशेष छूट दी है. प्रत्येक डॉग की बेस कीमत 2.5 लाख रुपये है, जबकि ड्यूटी-रेडी ट्रेनिंग और उपकरणों सहित कुल लागत 15 लाख रुपये प्रति डॉग होगी. यानी कुल 90 लाख रुपये का निवेश, जो सरकार के अनुसार “स्मार्ट इन्वेस्टमेंट” है.
इन डॉग्स और जेल स्टाफ को फिल्लौर पुलिस अकादमी में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जहां पहले से ही एक सफल कैनाइन प्रोग्राम संचालित हो रहा है. इससे पहले एक्साइज विभाग के दो स्निफर डॉग्स ने अवैध लाहन के कई मामलों का भंडाफोड़ किया था, जबकि मौजूदा जेल कैनाइन यूनिट्स ने मोबाइल तस्करी रोकने में सराहनीय योगदान दिया है. नई यूनिट इन प्रयासों को और मजबूती देगी.
हर युवा नशे के जाल से बाहर निकलकर
‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान के तहत अब तक 25 जेल अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है. पिछले वर्ष पंजाब पुलिस ने 1,100 किलो से अधिक हेरोइन जब्त की थी और NDPS मामलों में 25% की कमी दर्ज की गई, जो इस अभियान की सफलता का संकेत है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “नशे पर सख्ती सिर्फ पुलिस का नहीं, पूरे समाज का अभियान है. जब जेलें सुधरेंगी, तो पंजाब भी सुधरेगा. हमारा लक्ष्य है कि हर युवा नशे के जाल से बाहर निकलकर अपने सपनों को पूरा करे.”
सुशासन से कुछ भी संभव
सोशल मीडिया पर भी जनता इस फैसले की खुलकर सराहना कर रही है. एक यूजर ने लिखा, “स्निफर डॉग्स जेलों में सुरक्षा की नई दहाड़ हैं! मान सरकार ने साबित कर दिया कि सुशासन से कुछ भी संभव है.”
इस ऐतिहासिक पहल को ‘सिक्योरिटी गेम चेंजर’ कहा जा रहा है .जो न केवल जेल सुधार की दिशा में बल्कि ‘ड्रग-फ्री पंजाब’ के सपने को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगी.