Attack On Rekha Gupta: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हमला हुआ. यह घटना सुबह करीब 8 बजे जन सुनवाई कार्यक्रम के दौरान हुई. प्रारंभिक जांच में पता चला कि हमलावर ने हमले से पहले मुख्यमंत्री के आवास की रेकी की थी. दिल्ली पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ जारी है. जल्द ही मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य पर मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाएगा.
हमला कब और कैसे हुआ?
बुधवार सुबह 7 बजे रेखा गुप्ता ने अपने आवास पर जन सुनवाई शुरू की. इस दौरान 41 वर्षीय आरोपी राजेश भाई खिमजी भाई सकरिया, जो गुजरात के राजकोट का निवासी है, ने पहले मुख्यमंत्री को कुछ कागज सौंपे और फिर अचानक उन पर हमला कर दिया. पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप कर आरोपी को हिरासत में लिया.
मुख्यमंत्री की स्थिति
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बताया कि हमले से मुख्यमंत्री घबराई हुई हैं, लेकिन उनकी हालत स्थिर है. स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने कहा कि रेखा गुप्ता के सिर और कंधे पर चोटें आई हैं, और उनका मेडिको-लीगल केस (MLC) दर्ज किया गया है. दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री के कार्यालय की सुरक्षा बढ़ा दी है और गृह मंत्रालय को इस घटना की सूचना दे दी गई है.
साजिश का आरोप
दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा ने दावा किया कि हमलावर का इरादा केवल हमला करना नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री को नुकसान पहुंचाना था. उन्होंने कहा कि आरोपी ने हमले से पहले मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले और शालीमार बाग स्थित निजी आवास की रेकी की थी. वह दो दिन से दिल्ली में था और एक रात सिविल लाइंस में रुका था. जांच में यह भी सामने आया कि उसने जन सुनवाई की प्रक्रिया को समझने के लिए पूरी वीडियो देखी थी.
आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं. दिल्ली पुलिस से उचित कार्रवाई की उम्मीद है.” दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
जांच में क्या सामने आया?
आरोपी की मां भानु बेन ने बताया कि उनका बेटा पशु प्रेमी है और वह कुत्तों से संबंधित किसी मुद्दे को लेकर परेशान था. उन्होंने कहा कि उनका बेटा किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है.
इस दौरान कोई भी व्यक्ति उनसे मिलने आ सकता है. हालांकि, तलाशी और रजिस्टर में नाम-पता दर्ज करने की प्रक्रिया होती है, लेकिन मुख्यमंत्री जनता से सीधे संवाद करती हैं और उनके बीच कोई सुरक्षा दीवार नहीं होती.