सचिन तेंदुलकर ने खोला पटौदी ट्रॉफी विवाद का राज, विरासत को बनाए रखने की ठानी

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में पटौदी ट्रॉफी को तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी में बदलने के विवाद पर खुलकर बात की. उन्होंने पटौदी परिवार की क्रिकेट में योगदान को अहम बताते हुए इसकी विरासत को जीवित रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

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Pataudi Trophy controversy: क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में पटौदी ट्रॉफी को तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी में बदलने के विवाद पर खुलकर बात की. उन्होंने पटौदी परिवार की क्रिकेट में योगदान को अहम बताते हुए इसकी विरासत को जीवित रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

सचिन ने इस मुद्दे पर बीसीसीआई और ईसीबी के साथ अपनी बातचीत का खुलासा किया, जिसके परिणामस्वरूप विजेता कप्तान को पटौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस देने का फैसला लिया गया.

पटौदी विरासत को जीवित रखने की मुहिम

सचिन ने कहा, “पटौदी परिवार का भारतीय क्रिकेट में योगदान प्रेरणादायक है. उनकी विरासत को बनाए रखना जरूरी है.” उन्होंने बताया कि जब उन्हें ट्रॉफी के नाम बदलने की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत पटौदी परिवार से बात की और इस विरासत को संरक्षित करने का वादा किया. सचिन ने कहा, “मैंने परिवार से वादा किया कि मैं हर संभव प्रयास करूंगा ताकि उनकी विरासत बरकरार रहे.

बीसीसीआई और ईसीबी से चर्चा

सचिन ने बीसीसीआई के अध्यक्ष जय शाह और ईसीबी के अधिकारियों से इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की. दूसरी कॉल में, यह निर्णय लिया गया कि भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के विजेता कप्तान को पटौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया जाएगा. सचिन ने स्पष्ट किया, “ट्रॉफी को रिटायर करने का फैसला बीसीसीआई और ईसीबी का था, लेकिन मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की.

पुरानी विरासत

20 जून से शुरू होने वाली भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के साथ पटौदी मेडल एक नई परंपरा की शुरुआत करेगा. यह कदम क्रिकेट इतिहास को आधुनिकता के साथ जोड़ने का प्रतीक है.