नई दिल्ली: भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई ने श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम छात्रों के प्रवेश पर आधिकारिक रूप से आपत्ति जताई है. यह आपत्ति रियासी जिले में इस मुद्दे पर कई दक्षिणपंथी समूहों द्वारा सड़क पर विरोध प्रदर्शन किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और सुधारात्मक कार्रवाई और प्रवेश मानदंडों की समीक्षा की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब संस्थान की पहली एमबीबीएस सीट-आवंटन सूची में 2025-26 शैक्षणिक वर्ष के लिए 50 सीटों वाले पहले बैच में 42 मुस्लिम छात्र दिखाई दिए. कई हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा वित्त पोषित संस्थान को हिंदू प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देनी चाहिए और मांग की कि समुदाय-आधारित आरक्षण को सक्षम करने के लिए एसएमवीडीआईएमई को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित किया जाए.
उधमपुर से भाजपा विधायक आरएस पठानिया ने एक्स पर पोस्ट किया कि वैष्णो देवी तीर्थयात्रियों की "भक्ति और प्रसाद" से निर्मित संस्थानों को मंदिर के लोकाचार को प्रतिबिंबित करना चाहिए. उन्होंने कहा, "श्री माता वैष्णो देवी तीर्थयात्रियों की श्रद्धा और समर्पण से निर्मित संस्थाओं को मंदिर के पवित्र लोकाचार के पूर्ण अनुरूप कार्य करना चाहिए. श्राइन बोर्ड अधिनियम और विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन अब आवश्यक है."
इस सप्ताह के शुरू में विरोध प्रदर्शन उस समय और बढ़ गया था जब युवा राजपूत सभा, राष्ट्रीय बजरंग दल और कल्कि मूवमेंट के सदस्यों ने विश्वविद्यालय तक मार्च किया और पुलिस द्वारा रोके जाने से पहले एक गेट को जबरन खुलवाया. उनके नेताओं ने दावा किया कि केवल सात हिंदुओं और एक सिख को ही प्रवेश दिया गया है, उन्होंने इस वितरण को अस्वीकार्य बताया तथा नए सिरे से प्रवेश प्रक्रिया पर जोर दिया.
राष्ट्रीय बजरंग दल के अध्यक्ष राकेश बजरंगी ने कहा, 50 छात्रों के पहले बैच में केवल सात हिंदू और एक सिख हैं, जबकि 42 छात्र मुस्लिम हैं, जो हमें स्वीकार्य नहीं है. हम हिंदुओं के लिए पर्याप्त आरक्षण की गारंटी के लिए नए सिरे से प्रवेश प्रक्रिया और मौजूदा नियमों की पुनः जांच की मांग करते हैं." उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज का निर्माण वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले हिंदुओं के दान से किया गया है और यह धन केवल समुदाय के कल्याण के लिए खर्च किया जाना चाहिए.
इस तीर्थस्थल द्वारा वित्तपोषित संस्थान को इस वर्ष 50 एमबीबीएस सीटें स्वीकृत की गईं. अधिकारियों ने कहा कि प्रवेश योग्यता के आधार पर दिए जाएंगे, और ज़ोर देकर कहा कि एसएमवीडीआईएमई को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया गया है, इसलिए वह किसी भी धर्म-आधारित आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता. प्रदर्शनकारी नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष उपराज्यपाल सिन्हा ने शीघ्र हस्तक्षेप नहीं किया तो वे अपना आंदोलन तेज कर देंगे.