बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतदान खत्म होने के बाद आए वोट वाइब एग्जिट पोल के नतीजों ने राज्य की सियासत में जबरदस्त हलचल मचा दी है. शुरुआती आंकड़ों के अनुसार इस बार मुकाबला बेहद करीबी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच सत्ता की जंग बराबरी की स्थिति में पहुंच गई है. वहीं, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी सीमित दायरे में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, जिसने मुकाबले को और अधिक दिलचस्प बना दिया है.
सर्वे के मुताबिक, बिहार की जनता इस बार परिवर्तन और स्थिरता दोनों के बीच उलझी दिखाई दे रही है. वोट वाइब एग्जिट पोल 2025 के ताजा आंकड़ों के अनुसार, तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा पसंद किया गया है. लगभग 35 प्रतिशत मतदाताओं ने तेजस्वी यादव को अपनी पहली पसंद बताया है, जबकि 33 प्रतिशत मतदाता अब भी नीतीश कुमार के पक्ष में खड़े हैं. वहीं, जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर करीब 9 प्रतिशत लोगों की पसंद बने हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि जनता पूरी तरह किसी एक पक्ष के साथ नहीं है और अंतिम नतीजे किसी भी दिशा में जा सकते हैं. यह स्थिति 2020 के चुनावों जैसी प्रतीत हो रही है, जब मामूली अंतर ने पूरे नतीजे पलट दिए थे.
बिहार की राजनीति में महिलाओं की भूमिका हमेशा निर्णायक रही है, और इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. सर्वे के अनुसार, महिला मतदाताओं ने एक बार फिर एनडीए पर भरोसा जताया है. नीतीश सरकार की जीविका योजना और महिलाओं को दी गई आर्थिक सहायता ने ग्रामीण इलाकों में एनडीए की पकड़ को मजबूत किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं की यह समर्थन रेखा 2020 की तरह इस बार भी नीतीश को निर्णायक बढ़त दिला सकती है.
वहीं, युवाओं का मूड इस बार बदलाव के पक्ष में नजर आ रहा है. महागठबंधन की ओर झुकाव दिखाने वाले युवा मतदाता रोजगार, सरकारी नौकरी और पलायन जैसे मुद्दों पर खासे सक्रिय रहे. तेजस्वी यादव ने अपने पूरे प्रचार अभियान में इन्हीं सवालों को केंद्र में रखा. पटना, गया, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जैसे शहरी इलाकों में युवाओं का समर्थन महागठबंधन के पक्ष में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है.
सर्वे के अनुसार, कुल वोट प्रतिशत के लिहाज से एनडीए को मामूली बढ़त मिली है. आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए को लगभग 45 प्रतिशत और महागठबंधन को करीब 42 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. वहीं, जन सुराज पार्टी लगभग 5 प्रतिशत वोट हासिल करती दिख रही है. यह छोटा सा अंतर अंतिम नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है, खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला सीधा नहीं बल्कि त्रिकोणीय है.
हालांकि जन सुराज पार्टी इस चुनाव में सत्ता की दौड़ में नहीं दिख रही, लेकिन कई सीटों पर उसने समीकरण बदल दिए हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर का वोट शेयर अगर किसी एक पक्ष से ज्यादा कट गया, तो यह पूरे नतीजों का रुख बदल सकता है. यही वजह है कि बिहार की 2025 की लड़ाई पहले से ज्यादा अनिश्चित और रोमांचक बन चुकी है. मतदान के बाद अब सभी की निगाहें मतगणना के दिन पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि बिहार की गद्दी पर कौन बैठेगा? नीतीश की स्थिरता या तेजस्वी का नया उत्साह.