नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के नन्हें वीर श्रवण सिंह को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया. यह सम्मान उनकी वीरता और पराक्रम के लिए दिया गया है. महज दस साल के नन्हें श्रवण ने भारत पाकिस्तान के दौरान चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सैनिकों की निस्वार्थ सेवा की थी. उन्होंने सरहद पर तैनात भारत के सैनिकों को घर से लस्सी, दूध और रोटी लेकर बेखौफ देने जाते थे.
दस साल के श्रवण सिंह ने बिना किसी आदेश या दबाव के अपनी इच्छा से सरहद पर तैनात सैनिकों की मदद की. श्रवण का ऐसा करना उनके देशप्रेम की भावना और निडरता को दर्शता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब सेना पंजाब के फिरोजपुर जिले के पास तैनात थी, तब श्रवण रोज़ाना सैनिकों के लिए पानी, दूध, लस्सी, चाय और बर्फ लेकर जाता था. उस समय हालात संवेदनशील थे, लेकिन इसके बावजूद उसने पीछे हटने के बजाय सेवा का रास्ता चुना.
जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने श्रवण को सम्मानित किया तो उसने कहा कि उसने यह सब अपनी मर्जी से किया. श्रवण ने आगे कहा कि जब सैनिक पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लिए हमारे गांव आए, तो मुझे लगा कि उनकी मदद करना हमारा कर्तव्य है. इस सम्मान को पाकर श्रवण काफी खुश है और उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे इतनी बड़ी पहचान मिलेगी. भोलेपन और मन की सच्चाई से की गई इस सेवा के लिए आज श्रवण को पूरे देश से बेशुमार प्यार मिल रहा है.
अधिकारियों के मुताबिक, श्रवण ने सैनिकों की मदद करने के लिए परिवार के किसी सदस्य की अनुमति का इंतजार नहीं किया. साथ ही उसके पिता ने बताया कि पूरे परिवार को उसके काम पर गर्व है और सैनिक भी उसे बहुत पसंद करते थे.
इससे पहले भी भारतीय सेना ने श्रवण के योगदान को सराहा था। मई में 7वीं इन्फैंट्री डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल रणजीत सिंह मनराल ने उसे सम्मानित किया था.
दस साल के श्रवण सिंह पंजाब के फिरोजपुर जिले के मामडोट इलाके के तारा वाली गांव का रहने वाला है. श्रवण के माता-पिता का नाम सोना सिंह औक संतोष रानी है. वह 4 क्लास का छात्र है. बता दें श्रवण का गांव भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 2 किलोमीटर दूर है. श्रवण ने बताया कि वह बड़ा होकर फौजी बनना चाहता है और देश की सेवा करना उसका सपना है.
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई 2025 को हुई थी. भारतीय सेना ने यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी.
इस अभियान के तहत भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी संगठनों के कई ठिकानों पर कार्रवाई की थी. इसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ा और दोनों देशों के बीच कुछ दिनों तक गोलीबारी हुई, जो बाद में युद्धविराम समझौते के साथ थमी.