Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम जिला स्तरीय वेबसाइटों पर अपलोड करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि यह जानकारी पारदर्शी और आसानी से सुलभ हो, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बना रहे. इस फैसले का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया है.
वोटर लिस्ट की सुविधा
निर्वाचन आयोग को बूथवार वोटर लिस्ट तैयार करने का निर्देश मिला है, जिसमें प्रत्येक मतदाता अपने EPIC नंबर के जरिए अपनी स्थिति जांच सकेगा. लिस्ट में नाम हटने का कारण स्पष्ट रूप से उल्लेखित होगा. इसके अलावा, मतदाता आधार कार्ड की प्रति के साथ दावा प्रस्तुत कर सकेंगे, जिससे उनकी शिकायतों का त्वरित समाधान होगा.
वेबसाइट के जरिए प्रचार
जिला स्तरीय वेबसाइटों के साथ-साथ, छूटे हुए वोटरों की जानकारी स्थानीय समाचार पत्रों, रेडियो और आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर व्यापक रूप से साझा की जाएगी. इससे मतदाताओं को अपनी स्थिति की जानकारी आसानी से मिल सकेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी.
ब्लॉक स्तर पर व्यवस्था
हर बूथ लेवल ऑफिसर को निर्देश है कि वे छूटे हुए नामों की सूची पंचायत भवनों और ब्लॉक कार्यालयों में प्रदर्शित करें, जिसमें नाम हटने का कारण भी स्पष्ट हो. इसके अतिरिक्त, जिलावार सूची को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बूथ और जिला स्तर के अधिकारियों से अनुपालन रिपोर्ट मांगी है, जिसे 22 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाएगा. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लिस्ट EPIC सर्च के लिए उपलब्ध रहे.