कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंदू नेता दीपू चंद्र दास की हत्या की कड़ी निंदा की है. उन्होंने भारत और बांग्लादेश की स्थितियों की तुलना करते हुए कहा कि जहां भारत में विरोध प्रदर्शन आम हैं, लेकिन हिंसा या लिंचिंग जैसी घटनाएं नहीं होतीं, वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अशांति पर काबू पाने की जरूरत है.
थरूर ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में यह टिप्पणियां कीं, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के भारत-विरोधी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद फैली अराजकता का जिक्र किया. उनका मानना है कि ऐसी स्थिति में चुनाव कराना मुश्किल होगा. बांग्लादेश में संसदीय चुनाव 12 फरवरी को होने वाले हैं.
थरूर ने मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर जोर देते हुए कहा कि अशांति को नियंत्रित करना उनका प्रमुख दायित्व है. उन्होंने चिंता जताई कि 'अराजकता और धमकी' के माहौल में मतदान संभव नहीं है, क्योंकि मतदाता खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे. पिछले साल अगस्त में बड़े छात्र आंदोलनों के बाद शेख हसीना की सरकार गिर गई थी, जिसके बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है.
केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने भारत की स्थिति पर गर्व जताते हुए कहा कि यहां विरोध प्रदर्शन होते हैं, लेकिन लिंचिंग या हिंसा की घटनाएं नहीं होतीं. उन्होंने जोर दिया कि किसी भी हिंसक प्रयास पर पुलिस सख्त कार्रवाई करती है और करनी चाहिए.
थरूर ने बांग्लादेश से अपील की कि वे भी ऐसी ही सख्ती अपनाएं. उनका मानना है कि बांग्लादेश की घटनाओं के जवाब में भारत में हुए प्रदर्शन नियंत्रित रहे हैं, और कोई भी अराजकता की स्थिति नहीं बनी. यह तुलना भारत की मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था को रेखांकित करती है, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन कानून का शासन सर्वोपरि है.
थरूर ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों और रोहिंग्या मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अवैध रूप से देश में रहने वालों को निर्वासित करने का अधिकार सरकार को है, लेकिन सीमाओं को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में नाकामी है. एएनआई से बातचीत में उन्होंने सवाल उठाया कि अगर अप्रवासी अवैध रूप से आ रहे हैं, तो क्या यह हमारी सीमा प्रबंधन की कमजोरी नहीं है? थरूर ने जोर दिया कि सीमाओं को मजबूत बनाना जरूरी है, ताकि ऐसी समस्याएं कम हों.