Sofiya Qureshi: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आज भाजपा के वरिष्ठ मंत्री कुंवर विजय शाह के खिलाफ कर्नल सोफिया कुरैशी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. अदालत ने पुलिस महानिदेशक को उसी दिन शाम तक कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, साथ ही चेतावनी दी कि आदेश का पालन न होने पर अवमानना अधिनियम के तहत कदम उठाए जाएंगे.
मंत्री के वकील ने दलील दी कि अदालत का फैसला केवल समाचार पत्रों की खबरों पर आधारित है. इस पर न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन ने कहा कि अब आधिकारिक रिकॉर्ड में वीडियो सबूत शामिल किए जाएंगे. जब महाधिवक्ता ने कार्रवाई के लिए अतिरिक्त समय मांगा, तो न्यायमूर्ति ने मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए टिप्पणी की कि मैं कल तक जीवित न रहूं, यह मसला तुरंत हल होना चाहिए.
अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196, जो धर्म के आधार पर समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने वाले कृत्यों को दंडित करती है, इस मामले में प्रथम दृष्टया लागू होती है. यह विवाद मंगलवार को तब शुरू हुआ, जब आदिवासी मामलों के मंत्री विजय शाह ने इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. शाह ने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में कहा कि जिन्होंने हमारी बेटियों को विधवा बनाया, हमने उनकी बहन को सबक सिखाने भेजा. कर्नल सोफिया कुरैशी ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मिलकर इस ऑपरेशन की जानकारी मीडिया को दी थी.
कांग्रेस ने शाह की टिप्पणी को शर्मनाक और अशोभनीय करार देते हुए तीखी आलोचना की. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे महिला सैन्य अधिकारियों के अपमान से जोड़ा. विपक्ष के साथ-साथ भाजपा के कुछ नेताओं ने भी शाह की टिप्पणी की निंदा की, जिसके बाद उन्होंने मंगलवार को सार्वजनिक माफी मांगी. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और समाज से सशस्त्र बलों में सेवारत महिलाओं के प्रति सम्मान दिखाने की अपील की. यह मामला न केवल राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है, बल्कि सैन्य अधिकारियों के सम्मान और लैंगिक संवेदनशीलता पर भी व्यापक चर्चा को जन्म दे रहा है.