Happy Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पवित्र त्यौहार, हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे भारत में उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि मध्यरात्रि 12 बजे मथुरा में देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था.
यह पर्व न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि प्रेम, एकता और आनंद का भी उत्सव है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन में डूब जाते हैं और रात 12 बजे विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.
कान्हा की लीलाओं का उत्सव
श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को जीवंत करने के लिए जगह-जगह रासलीला और नाटकीय प्रस्तुतियां आयोजित की जाती हैं. महाराष्ट्र और गुजरात में दही-हांडी प्रतियोगिता इस पर्व का मुख्य आकर्षण होती है, जहां युवा ‘गोविंदा’ बनकर हांडी फोड़ने की परंपरा निभाते हैं.
घर-घर में लड्डू गोपाल की पूजा
इस शुभ अवसर पर घरों में लड्डू गोपाल को झूले में झुलाया जाता है और उन्हें माखन, मिश्री, लड्डू और अन्य मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. छोटे बच्चे राधा-कृष्ण के रूप में सजकर उत्सव में चार चांद लगाते हैं. मंदिरों में भक्ति भजनों की गूंज और सुगंधित फूलों की सजावट पर्व को और भी खास बनाती है.
जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
यह पर्व अपनों के साथ खुशियां बांटने का भी समय है. आप अपने प्रियजनों को यह संदेश भेजकर जन्माष्टमी की बधाई दे सकते हैं: “कान्हा की बंसी की मधुर तान, माखन की मिठास और प्रेम का वरदान, जन्माष्टमी लाए आपके जीवन में सुख-समृद्धि और भक्ति का रंग. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!” आइए, इस जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की कृपा से अपने जीवन को प्रेम, भक्ति और आनंद से सराबोर करें.