'आतंकवाद का जिक्र नहीं चाहता था एक देश', राजनाथ सिंह के समर्थन में बोलें जयशंकर

चीन के क़िंगदाओ में आयोजित एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त रुख दोहराया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के अपराधियों, वित्तपोषकों और समर्थकों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है.

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Courtesy: Social Media

S Jaishankar: SCO की हालिया बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी नीति को एक बार फिर दुनिया के सामने साफ कर दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसमें आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को शामिल नहीं किया गया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस फैसले का समर्थन करते हुए इसे भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का मजबूत कदम बताया.

चीन के क़िंगदाओ में आयोजित एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त रुख दोहराया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के अपराधियों, वित्तपोषकों और समर्थकों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है. राजनाथ सिंह ने विशेष रूप से 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. 

संयुक्त वक्तव्य पर क्यों नहीं हुए हस्ताक्षर?

राजनाथ सिंह ने संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने से इसलिए मना किया, क्योंकि इसमें पहलगाम हमले का जिक्र नहीं था, जबकि पाकिस्तान में 11 मार्च को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा जाफ़र एक्सप्रेस अपहरण की घटना को शामिल किया गया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि एक देश ने आतंकवाद के उल्लेख का विरोध किया, जिसके कारण सहमति नहीं बन सकी. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि एससीओ का गठन ही आतंकवाद से लड़ने के लिए हुआ है. अगर इसमें आतंकवाद का जिक्र नहीं होगा, तो भारत ऐसे दस्तावेज को स्वीकार नहीं करेगा.

पाकिस्तान पर निशाना, चीन को नसीहत

राजनाथ सिंह ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि कुछ देश आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाते हैं. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद के मुद्दे को कमजोर करने की कोशिश की, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया.

इस कदम से भारत ने न केवल अपनी नीति को मजबूती से रखा, बल्कि वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया. एससीओ में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान और अन्य देश शामिल हैं. यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग के लिए जाना जाता है. भारत ने पहले भी 2023 में एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का समर्थन करने से इनकार किया था. राजनाथ सिंह के इस कदम ने एक बार फिर साबित किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं है.