गिग इकोनॉमी में काम करने वाले डिलीवरी पार्टनर और ड्राइवरों की यूनियनों ने बुधवार को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल से पहले अपनी मांगों को फिर से मजबूती से रखा है. ये वर्कर स्विगी, जोमैटो, जेप्टो और अमेजन जैसी कंपनियों से जुड़े हैं और वे 10 मिनट की तेज डिलीवरी सुविधा को समाप्त करने तथा पुरानी भुगतान प्रणाली को बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
यूनियन नेताओं का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था वर्कर्स पर अनुचित दबाव डाल रही है, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ रही है और आय में भारी गिरावट आई है. तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन ने कहा कि हजारों वर्कर इस विरोध में शामिल होने के लिए तैयार हैं, जो पीक समय में डिलीवरी सेवाओं को प्रभावित कर सकता है.
इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के बैनर तले आयोजित इस हड़ताल में यूनियनों ने पांच मुख्य मांगें रखी हैं. सबसे महत्वपूर्ण है पुरानी भुगतान संरचना की बहाली, जिसमें दशहरा, दिवाली और बकरीद जैसे त्योहारों के दौरान उचित भुगतान सुनिश्चित किया जाता था. सलाउद्दीन ने एएनआई से बातचीत में कहा कि हम प्लेटफॉर्म कंपनियों से अपील करते हैं कि वे पुरानी भुगतान प्रणाली लागू करें और सभी ऐप्स से 10 मिनट की डिलीवरी विकल्प हटा दें. हम चर्चा के लिए तैयार हैं और राज्य तथा केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हैं. इसके अलावा, यूनियन ने एल्गोरिथम-आधारित प्रबंधन प्रणाली की आलोचना की है, जिसे वे अपारदर्शी बताते हैं. उनका आरोप है कि प्रोत्साहन राशि का सही भुगतान नहीं होता और कमाई की गणना में कोई स्पष्टता नहीं है. वर्कर्स उचित शिकायत निवारण तंत्र और सामाजिक सुरक्षा लाभों की भी मांग कर रहे हैं.
विरोध की शुरुआत पहले ही हो चुकी है और यह चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है. यूनियन के अनुसार, 25 दिसंबर को पूरे देश में करीब 40,000 वर्कर्स ने प्रदर्शन किया, जिससे 50 से 60 प्रतिशत ऑर्डरों में देरी हुई. सलाउद्दीन ने इसे ट्रेलर बताया और कहा कि असली प्रभाव 31 दिसंबर को दिखेगा. इस हड़ताल को देशभर में 1.5 लाख से अधिक वर्कर्स का समर्थन प्राप्त है. यूनियन नेताओं का दावा है कि तेज डिलीवरी मॉडल वर्कर्स को सड़क पर जोखिम भरे फैसले लेने के लिए मजबूर करता है, जबकि बार-बार बदलते भुगतान नियमों से उनकी आय प्रभावित हो रही है.