मध्य प्रदेश में अवैध खनन का मामला, विधायक के फोन के बाद जज ने सुनवाई से नाम वापस लिया

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में अवैध खनन से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मामले में नया मोड़ आया है. जस्टिस विशाल मिश्रा ने बीजेपी विधायक संजय पाठक द्वारा फोन पर संपर्क करने की कोशिश के बाद खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया.

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Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में अवैध खनन से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मामले में नया मोड़ आया है. जस्टिस विशाल मिश्रा ने बीजेपी विधायक संजय पाठक द्वारा फोन पर संपर्क करने की कोशिश के बाद खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया.

यह मामला बड़े पैमाने पर खनन घोटाले की शिकायत से संबंधित है, जिसने न केवल आर्थिक अनियमितताओं को उजागर किया है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है.

क्या है अवैध खनन का यह विवाद?

“आशुतोष दीक्षित बनाम आर्थिक अपराध शाखा (EOW) व अन्य” नामक रिट याचिका में याचिकाकर्ता आशुतोष दीक्षित ने भोपाल की आर्थिक अपराध शाखा में अवैध खनन की शिकायत दर्ज की थी. उनका दावा है कि मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर खनन घोटाला हुआ है, लेकिन EOW ने तय समय में जांच पूरी नहीं की. इसके चलते, उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की.

आरोपों के मुताबिक, बीजेपी विधायक संजय पाठक से जुड़ी पारिवारिक कंपनियों ने भोपाल, जबलपुर और कटनी में लगभग 1000 करोड़ रुपये की जमीन को केवल 90 करोड़ रुपये में खरीदा, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ. इसके अतिरिक्त, इन कंपनियों पर अवैध खनन का आरोप है, जिसके लिए 520 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

बीजेपी विधायक का हस्तक्षेप 

संजय पाठक इस मामले में पक्षकार नहीं थे, फिर भी उन्होंने अदालत में हस्तक्षेप का आवेदन दायर किया. उनका कहना था कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए. हालांकि, 1 सितंबर की सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल मिश्रा ने अपने आदेश में खुलासा किया कि पाठक ने उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, जो न्यायिक आचार संहिता का उल्लंघन है.

जस्टिस मिश्रा ने कहा, “इस मामले में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए मैं सुनवाई से हट रहा हूं.” उन्होंने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजने का निर्देश दिया, ताकि इसे नई पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.

आगे क्या होगा?

अब यह मामला नई पीठ के सामने सुना जाएगा. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.आर. ताम्रकार और अंकित चोपड़ा ने पक्ष रखा, जबकि EOW का प्रतिनिधित्व मधुर शुक्ला ने किया. संजय पाठक की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने दलीलें पेश कीं. इस मामले ने मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया है, और विपक्ष ने इसे लेकर सीबीआई जांच की मांग तेज कर दी है.