पाक-अफगान तनाव थमा, अब TTP के भविष्य पर टिकी निगाहें, सीजफायर के बाद क्या होगा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का?

Pak-Afghan ceasefire: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर चल रहे तनाव और झड़पों के बीच आखिरकार दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति बना ली है. कतर की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद यह फैसला लिया गया, जिससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच बिगड़ते हालातों में कुछ राहत आई है.

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Pak-Afghan ceasefire: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर चल रहे तनाव और झड़पों के बीच आखिरकार दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति बना ली है. कतर की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद यह फैसला लिया गया, जिससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच बिगड़ते हालातों में कुछ राहत आई है.

हालांकि अब बड़ा सवाल यह है कि जिस तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को लेकर यह विवाद भड़का, उसके भविष्य का क्या होगा? पिछले कई महीनों से पाकिस्तान लगातार यह आरोप लगाता आ रहा है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार, TTP को शरण और समर्थन दे रही है. पाकिस्तान का कहना है कि इस आतंकी संगठन के सदस्य अफगानिस्तान की सीमा से पाकिस्तान में घुसपैठ कर हमले करते हैं.

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ 

इसी आरोप के बाद पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर को अफगानिस्तान में हवाई हमले किए थे, जिनमें कई लोगों की मौत हुई. इसके जवाब में 11 अक्टूबर को अफगान बलों ने भी पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाया. लगातार हो रही इन झड़पों के बाद कतर के हस्तक्षेप से दोनों देशों के प्रतिनिधि दोहा में आमने-सामने बैठे.

इस वार्ता का नेतृत्व पाकिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक ने किया. वहीं, अफगानिस्तान की ओर से कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद और खुफिया प्रमुख मौलवी अब्दुल हक वासिक मौजूद थे.

बैठक के दौरान पाकिस्तान ने स्पष्ट कहा कि TTP की मौजूदगी उसके लिए अस्वीकार्य है और अफगानिस्तान को इस आतंकी संगठन के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी होगी. इसके जवाब में तालिबान प्रतिनिधियों ने सहयोग की इच्छा जताई और कहा कि वे पाकिस्तान की चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह उम्मीद करना अवास्तविक है कि काबुल पूरी तरह से TTP के पाकिस्तान में ऑपरेशनों को रोक सकेगा.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर

तालिबान ने पाकिस्तान से TTP के ठिकानों की सटीक जानकारी साझा करने का अनुरोध किया है ताकि लक्षित कार्रवाई की जा सके. वहीं, अफगानिस्तान ने पलटवार करते हुए यह आरोप लगाया कि पाकिस्तान खुद इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े समूहों को समर्थन देता है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ती है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस वार्ता का उद्देश्य अफगानिस्तान की धरती से होने वाले सीमा पार आतंकवाद को रोकना और दोनों देशों के बीच शांति बहाल करना था. पाकिस्तान लंबे समय से TTP की हिंसक गतिविधियों से परेशान है. इस संगठन ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान के सुरक्षा बलों और आम नागरिकों पर कई घातक हमले किए हैं.

अब जबकि दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू हो चुका है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर इस बात पर टिकी है कि तालिबान सरकार वास्तव में TTP के खिलाफ कार्रवाई करती है या नहीं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अफगानिस्तान ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संघर्ष भविष्य में दोबारा भड़क सकता है.