अफगानिस्तान से तनाव के बीच अंदरूनी संकटों में फंसा पाकिस्तान, अंदरूनी संकट ने बढ़ाई मुश्किलें

Pakistan floods: पाकिस्तान इस समय एक साथ कई संकटों से गुजर रहा है. एक ओर जहां उसका अफगानिस्तान के साथ तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर देश की आर्थिक स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं ने उसे गहरे संकट में धकेल दिया है.

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Pakistan floods: पाकिस्तान इस समय एक साथ कई संकटों से गुजर रहा है. एक ओर जहां उसका अफगानिस्तान के साथ तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर देश की आर्थिक स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं ने उसे गहरे संकट में धकेल दिया है. ताजा हालात बताते हैं कि पाकिस्तान सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि अपने ही अंदर कई लड़ाइयाँ लड़ रहा है. आतंकवाद, गरीबी, कर्ज और तबाही की मार झेलते हुए.

तालिबान ने किया दावा

दरअसल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल के दिनों में सीमा तनाव खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है. पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) जैसे आतंकी संगठनों को पनाह दे रहा है. इसी के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा पर हवाई हमला किया, जिसका जवाब तालिबान ने भी दिया.

दोनों देशों के बीच हुई झड़प में कई लोगों की मौत हो गई और हालात बिगड़ते चले गए. हालांकि 48 घंटे का सीजफायर (युद्धविराम) लागू किया गया था, लेकिन शुक्रवार को पाकिस्तान की ओर से इसके उल्लंघन की खबर आई. तालिबान ने दावा किया कि पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में 10 नागरिकों की मौत हुई है.

इकबाल ने शुक्रवार को बताया

सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के सामने घरेलू मोर्चे पर भी भारी चुनौतियाँ हैं. 2022 की विनाशकारी बाढ़ ने देश को आर्थिक रूप से तोड़ दिया. रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान को इस आपदा में 30 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था. इसके बावजूद उसे सिर्फ 60 करोड़ डॉलर की विदेशी मदद मिली. पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसन इकबाल ने शुक्रवार को बताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से जो सहायता मिली, वह ज्यादातर पुराने कर्ज को नए रूप में पेश करके दी गई थी.

मंत्री ने कहा, “यह एक बड़ी विडंबना है कि वैश्विक समुदाय ने जलवायु परिवर्तन के लिए 100 अरब डॉलर के फंड का वादा किया था, लेकिन पाकिस्तान को उसका 1% भी नहीं मिला.” उन्होंने बताया कि सरकार ने मजबूरी में अब घरेलू संसाधनों से पुनर्निर्माण का फैसला लिया है.

कमजोर राजनीतिक स्थिरता

बाढ़ से हुए नुकसान का सरकारी आकलन बताता है कि अब तक 1,039 लोगों की जान गई, जबकि 1,067 घायल हुए. सबसे ज़्यादा नुकसान पंजाब में हुआ, जहाँ लगभग 2.13 लाख घर प्रभावित हुए. इसके अलावा, बलूचिस्तान में 6,370, आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान में 3,677, सिंध में 3,332 और खैबर पख्तूनख्वा में 3,222 घरों को नुकसान हुआ. कुल मिलाकर 70 जिलों के करीब 65 लाख लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 40 लाख को अस्थायी रूप से विस्थापित होना पड़ा.

कृषि क्षेत्र को 430 अरब रुपये और बुनियादी ढांचे को 307 अरब रुपये का नुकसान हुआ. 2,800 किलोमीटर से अधिक सड़कें नष्ट हुईं, 2,200 से ज्यादा स्कूल और 250 से अधिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभावित हुए. पंजाब अकेले में 632 अरब रुपये का नुकसान झेल चुका है.

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के सामने यह बहुस्तरीय संकट उसकी कमजोर राजनीतिक स्थिरता और सीमित आर्थिक संसाधनों को उजागर करता है. एक तरफ सीमा पर संघर्ष और आतंरिक आतंकवाद, दूसरी तरफ कर्ज और जलवायु आपदाएँ इन सबने पाकिस्तान को एक मानवता और नीति दोनों के मोर्चे पर चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल दिया है.