भारत-पाकिस्तान तनाव में चीन ने की मध्यस्थता? अमेरिका के बाद अब चीन के दावों पर नई दिल्ली का रिएक्शन

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को एक संगोष्ठी में दावा किया कि इस वर्ष चीन ने कई वैश्विक हॉटस्पॉट मुद्दों में मध्यस्थता की, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने का तनाव भी शामिल है.

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Courtesy: Social Media

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को एक संगोष्ठी में दावा किया कि इस वर्ष चीन ने कई वैश्विक हॉटस्पॉट मुद्दों में मध्यस्थता की, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने का तनाव भी शामिल है. यह बयान उस समय आया है जब वर्ष 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव हुआ था. हालांकि, भारतीय पक्ष से जुड़े सूत्रों ने इस दावे को 'अजीब' करार देते हुए साफ कहा कि चीन की कोई भूमिका नहीं थी.

वांग यी ने बीजिंग में 'अंतर्राष्ट्रीय स्थिति और चीन के विदेश संबंधों पर संगोष्ठी' को संबोधित करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की तुलना में इस साल स्थानीय युद्ध और सीमा-पार संघर्ष अधिक भड़के. उन्होंने चीन की नीति की सराहना करते हुए दुनिया के कई संघर्षों में मध्यस्थता करने का दावा किया. जिसमें भारत-पाकिस्तान और फिलिस्तीन-इजरायल समेत कई युद्ध शामिल हैं. 

पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 22 अप्रैल 2025 को आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए. इस हमले में मुख्य तौर पर हिन्दू धर्म के पुरुषों को निशाना बनाया गया था. भारत ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की. मई में शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए.

इस दौरान दोनों पक्षों से गोलीबारी और जवाबी कार्रवाई हुई, जिससे तनाव चरम पर पहुंच गया. रिपोर्टों के अनुसार, संघर्ष के समय चीन ने पाकिस्तान को रीयल-टाइम खुफिया जानकारी और सैन्य सहायता प्रदान की. पाकिस्तान के सैन्य उपकरणों का 81 प्रतिशत से अधिक चीन से आयात होता है. भारतीय अधिकारियों का मानना है कि बीजिंग ने इस टकराव को अपनी हथियार प्रणालियों की प्रभावशीलता साबित करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया.

युद्धविराम कैसे हुआ?

भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) के बीच 10 मई 2025 को हॉटलाइन बातचीत हुई, जिसके बाद युद्धविराम समझौता लागू हुआ. भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह समझौता पूरी तरह द्विपक्षीय था और किसी तीसरे देश की दखलंदाजी नहीं हुई. सूत्रों ने बताया कि केवल दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की चर्चा से ही कार्रवाई रोकी गई.

नई दिल्ली ने हमेशा जोर दिया है कि भारत-पाकिस्तान संबंधित मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं. वांग यी के दावे पर अभी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन जानकारों ने इसे आधारहीन बताया. एक सूत्र ने कहा कि शायद चीन अमेरिका की राह पर चल रहा है, जहां ट्रंप ने भी दावा किया था.