उन्नाव रेप मामले में निष्कासित पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निलंबित किए जाने के फैसले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है, जो न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है.
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय अवकाश पीठ इस पर विचार करेगी, साथ ही दो वकीलों द्वारा दायर एक अलग याचिका पर भी सुनवाई होगी, जो हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रही है.
सीबीआई ने अपनी अपील में जोरदार तर्क दिए हैं कि हाई कोर्ट का फैसला कानूनी रूप से गलत है. एजेंसी ने एल.के. आडवाणी मामले का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी सार्वजनिक पदाधिकारी, जैसे विधायक, को लोक सेवक माना जाना चाहिए. अपराध के समय विधायक रहे सेंगर को पोक्सो अधिनियम के तहत लोक सेवक नहीं मानकर जमानत देना गलती थी.
अपील में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने विधायक की संवैधानिक जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया, जो मतदाताओं के विश्वास और समाज के प्रति दायित्व से जुड़ी होती है. सीबीआई ने जोर दिया कि इस फैसले से पोक्सो कानून के मूल उद्देश्य को झटका लगा है, जो बच्चों के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के लिए बनाया गया है. एजेंसी का मानना है कि ऐसी व्याख्या कानून की भावना के विपरीत है और इससे अपराधियों को अनुचित लाभ मिल सकता है.
23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया, क्योंकि उन्होंने पहले ही सात साल और पांच महीने जेल में काट लिए थे. कोर्ट ने उनकी अपील लंबित रहने तक सजा को स्थगित किया, जो 2019 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देती है. हालांकि, सेंगर अभी भी जेल में रहेंगे, क्योंकि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उन्हें 10 साल की सजा मिली है और उसमें जमानत नहीं मिली.
हाई कोर्ट ने जमानत पर कई सख्त शर्तें लगाईं, जैसे 15 लाख रुपये का व्यक्तिगत बांड और तीन जमानतदार. सेंगर को पीड़िता के दिल्ली स्थित घर से पांच किलोमीटर दूर रहने, उसे या उसकी मां को धमकी न देने का आदेश दिया गया. किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर जमानत रद्द करने की चेतावनी भी दी गई. इस फैसले ने कानूनी हलकों में बहस छेड़ दी है, क्योंकि सेंगर को नाबालिग लड़की का अपहरण और बलात्कार का दोषी ठहराया गया था.
उन्नाव रेप मामले की पीड़िता ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद जताई. दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि सेंगर ने सीबीआई जांच अधिकारी और हाई कोर्ट के न्यायाधीश को रिश्वत दी है. पीड़िता ने कहा कि जमानत मिलने के बाद उनके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं, जैसे उनके पति की नौकरी छिन जाना और बच्चों व गवाहों पर खतरा मंडराना. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें, ताकि वह बिना डर के अपनी कानूनी लड़ाई जारी रख सकें. पीड़िता ने जोर दिया कि सीबीआई के सामने नाम लिए गए लोगों को भी संरक्षण मिलना चाहिए.