बिहार: बिहार चुनाव परिणाम 2025 (Bihar Election Result 2025) की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. मतदान संपन्न हो चुका है और अब सभी की निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि बिहार की सत्ता की बागडोर किसके हाथ में जाएगी. लेकिन इस बड़े दिन से पहले एक अहम सवाल यह उठता है कि आखिर मतगणना शुरू होने से पहले चुनाव अधिकारी और प्रशासन क्या-क्या तैयारियां करते हैं? चुनाव परिणाम की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कौन-कौन सी प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं? आइए जानते हैं मतगणना से पहले अफसरों द्वारा की जाने वाली हर तैयारी के बारे में विस्तार से.
मतगणना केंद्रों की सख्त सुरक्षा व्यवस्था
मतगणना शुरू होने से पहले, सबसे ज़रूरी ज़िम्मेदारी सुरक्षा की होती है. हर मतगणना केंद्र पर त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था होती है, जिसमें स्थानीय पुलिस, राज्य सशस्त्र बल और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की टीमें शामिल होती हैं. मतगणना केंद्र के प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक, हर कोने पर कड़ी निगरानी रखी जाती है. किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को अंदर जाने की अनुमति नहीं है. केवल वैध प्रवेश पास वाले लोगों को ही अंदर जाने की अनुमति है, जैसे चुनाव अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर, पर्यवेक्षक और अधिकृत मतगणना एजेंट.
मीडिया प्रतिनिधियों के लिए भी विशेष नियम बनाए जाते हैं. कैमरा, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग मतगणना हॉल के अंदर सख्त रूप से प्रतिबंधित होता है ताकि किसी भी तरह की जानकारी लीक या छेड़छाड़ की संभावना न रहे.
उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की उपस्थिति
मतगणना के दिन पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार या उनके अधिकृत एजेंटों की उपस्थिति जरूरी होती है. रिटर्निंग ऑफिसर पहले से यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी उम्मीदवारों को मतगणना की तिथि, समय और स्थान की जानकारी दी जा चुकी है. ये एजेंट अपने-अपने दल की ओर से मतगणना प्रक्रिया की निगरानी करते हैं. जब तक ये एजेंट उपस्थित नहीं होते, तब तक कोई भी मतगणना शुरू नहीं की जाती. इससे यह सुनिश्चित होता है कि परिणाम प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी हो.
सुरक्षा और श्रद्धा दोनों का मिश्रण
मतगणना के दिन सबसे पहले उस स्ट्रांग रूम को खोला जाता है जिसमें मतदान के बाद ईवीएम (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) मशीनें रखी होती हैं. कई स्थानों पर अधिकारी स्ट्रांग रूम खोलने से पहले पूजा करते हैं. हालांकि यह कोई अनिवार्य नियम नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत आस्था का विषय होता है. इस स्ट्रांग रूम की सुरक्षा 24 घंटे सीसीटीवी कैमरों और सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों द्वारा की जाती है. मतगणना के दिन स्ट्रांग रूम उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की उपस्थिति में ही खोला जाता है और इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है.
स्ट्रांग रूम खोलने से पहले अधिकारी वहां लगी पेपर सील और सीरियल नंबर की जांच करते हैं. एजेंटों को भी सत्यापन के लिए बुलाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सील बिल्कुल सुरक्षित है और मतदान के दिन की सील से मेल खाती है. जब सभी पक्ष संतुष्ट हो जाते हैं, तब मशीनों को बाहर निकाला जाता है.
ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का सुरक्षित स्थानांतरण
सील की जांच के बाद ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को सुरक्षा घेरे में स्ट्रांग रूम से मतगणना हॉल तक लाया जाता है. इस दौरान हर मशीन की पहचान और आवाजाही का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है. मतगणना हॉल में प्रत्येक टेबल पर एक मतगणना पर्यवेक्षक, एक मतगणना सहायक और एक सूक्ष्म पर्यवेक्षक (Micro Observer) मौजूद रहते हैं. इन सभी को पहले से विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि किसी भी स्थिति में मतगणना की सटीकता और निष्पक्षता बनी रहे.
मतगणना कर्मचारियों की ब्रीफिंग और तैयारी
मतगणना के एक दिन पहले सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की ब्रीफिंग सेशन आयोजित की जाती है. इस दौरान उन्हें ईवीएम की प्रक्रिया, रिपोर्टिंग, रिकॉर्डिंग और परिणामों की घोषणा से जुड़ी हर जानकारी दी जाती है. सूक्ष्म पर्यवेक्षक (Micro Observer) इस प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. वे हर टेबल पर होने वाली गतिविधियों की निगरानी करते हैं और किसी भी गड़बड़ी या संदेह की स्थिति में तुरंत उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट करते हैं.
सील तोड़ना और गिनती शुरू करने की प्रक्रिया
मतगणना शुरू होने से ठीक पहले सभी उम्मीदवारों के एजेंटों के सामने ईवीएम की सील की जांच की जाती है. हर मशीन पर कई पेपर सीलें होती हैं जिनके नंबरों का मिलान आधिकारिक रिकॉर्ड से किया जाता है. जब सभी एजेंट इस बात की पुष्टि कर देते हैं कि सीलें सुरक्षित हैं और रिकॉर्ड से मेल खाती हैं, तब जाकर अधिकारी ईवीएम खोलते हैं और वोटों की गिनती शुरू होती है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता और निष्पक्षता का विशेष ध्यान रखा जाता है. प्रत्येक चरण की वीडियोग्राफी होती है ताकि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में प्रमाण उपलब्ध हो सके.
मतगणना का दिन केवल परिणाम जानने का नहीं होता, बल्कि यह लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा का दिन भी होता है. मतगणना शुरू होने से पहले की इन प्रक्रियाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि चुनाव आयोग और प्रशासन परिणाम की विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे चाहे जिस दिशा में जाएं, यह पूरी प्रक्रिया एक बार फिर यह साबित करती है कि भारत का लोकतंत्र कितना संगठित, पारदर्शी और मजबूत है.