अमेरिकी सेना में दाढ़ी रखने पर बैन! सिख, मुस्लिम और यहूदी सैनिकों में बढ़ी चिंता

US Army beard ban: अमेरिका की ट्रंप सरकार ने सेना को लेकर एक बड़ा और विवादास्पद कदम उठाया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में जारी इस नए आदेश के तहत अब अमेरिकी सैनिकों के लिए दाढ़ी रखना प्रतिबंधित कर दिया गया है.

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US Army beard ban: अमेरिका की ट्रंप सरकार ने सेना को लेकर एक बड़ा और विवादास्पद कदम उठाया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में जारी इस नए आदेश के तहत अब अमेरिकी सैनिकों के लिए दाढ़ी रखना प्रतिबंधित कर दिया गया है. रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने 30 सितंबर को यह सख्त ग्रूमिंग नीति (Grooming Policy) लागू की है, जिसके तहत केवल कुछ विशेष यूनिट्स को ही सीमित छूट मिलेगी. 

हेगसेथ ने अपने बयान में कहा कि यह कदम सेना में अनुशासन और युद्धक क्षमता (discipline and lethality) को मजबूत करने के लिए आवश्यक है. उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि “असमरूप व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और असंगत शेविंग प्रोफाइल्स” अब सेना में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.

पेंटागन द्वारा जारी मेमो के मुताबिक, यह नई नीति 60 दिनों के भीतर सभी सैन्य शाखाओं में लागू की जाएगी. अब सैनिकों को फेशियल हेयर (दाढ़ी) रखने की अनुमति नहीं होगी. 2010 के बाद से धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर दी गई छूट अब लगभग समाप्त कर दी गई है. इससे पहले सिख, मुस्लिम और यहूदी सैनिकों को अपने धार्मिक विश्वासों के कारण दाढ़ी रखने की छूट दी गई थी.

धार्मिक समुदायों में नाराज़गी

इस नए आदेश से सबसे ज्यादा असर सिख, मुस्लिम और ऑर्थोडॉक्स यहूदी समुदायों के सैनिकों पर पड़ेगा. सिख कोएलिशन (Sikh Coalition) जैसे प्रमुख धार्मिक और मानवाधिकार संगठनों ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है. संगठन का कहना है कि यह नीति धार्मिक सैनिकों को “अपने धर्म और अपने देश की सेवा के बीच चुनने” के लिए मजबूर करेगी.

2010 से पहले तक अमेरिकी सेना में सभी सैनिकों के लिए क्लीन-शेव चेहरा अनिवार्य था. इस कारण कई सिख युवाओं को अपने धर्म और सेना में करियर के बीच चुनाव करना पड़ता था. हालांकि, कानूनी लड़ाइयों और मानवाधिकार अभियानों के बाद 2017 में रक्षा विभाग ने धार्मिक सैनिकों को दाढ़ी और पगड़ी के साथ सेवा करने की अनुमति दी थी. यह निर्णय अमेरिकी सेना में धार्मिक समानता की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना गया था. अब इस नए फैसले से पिछले एक दशक में मिली वह आज़ादी फिर से खतरे में आ गई है.

अफ्रीकी-अमेरिकी सैनिकों पर भी असर

नई ग्रूमिंग नीति केवल धार्मिक सैनिकों को ही नहीं, बल्कि अफ्रीकी-अमेरिकी सैनिकों को भी प्रभावित करेगी. इनमें से कई सैनिक Pseudofolliculitis Barbae (PFB) नामक दर्दनाक त्वचा रोग से पीड़ित हैं, जिसके कारण उन्हें मेडिकल छूट दी जाती थी. अब यह छूट 12 महीने तक सीमित कर दी गई है. यदि सैनिक इस अवधि में उपचार पूरा नहीं करते हैं, तो उन्हें सेवा से हटाए जाने (involuntary separation) का सामना करना पड़ सकता है.

विवाद और आलोचना तेज

संयुक्त राज्य अमेरिका भर के नागरिक अधिकार समूह, पूर्व सैनिक संगठन और धार्मिक नेता इस फैसले को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बता रहे हैं. उनका कहना है कि यह आदेश अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को यह साबित करना होगा कि दाढ़ी रखने से सेना की सुरक्षा या संचालन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, हालाँकि अभी तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है.

अमेरिकी सेना में दाढ़ी पर बैन का यह फैसला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि विविधता और समावेशिता (diversity and inclusion) की दिशा में अब तक हुई प्रगति को भी पीछे ले जाता है. सिख, मुस्लिम और यहूदी समुदाय के सैकड़ों सैनिक अब दुविधा में हैं. वे या तो अपने धार्मिक सिद्धांतों से समझौता करें या देश सेवा से पीछे हटें.