तुर्की ने सीरिया के साथ खेला बड़ा खेल? इजराइल हमले में सामने आई सच्चाई

मध्य पूर्व की सियासत में एक बार फिर उलटफेर देखने को मिल रहा है. सवाल यह उठ रहा है कि क्या तुर्की ने सीरिया को इजराइल के खिलाफ जंग में इस्तेमाल कर अकेला छोड़ दिया? हाल के घटनाक्रमों ने इस चर्चा को और हवा दी है. आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं.

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Maritime Agreement: मध्य पूर्व की सियासत में एक बार फिर उलटफेर देखने को मिल रहा है. सवाल यह उठ रहा है कि क्या तुर्की ने सीरिया को इजराइल के खिलाफ जंग में इस्तेमाल कर अकेला छोड़ दिया? हाल के घटनाक्रमों ने इस चर्चा को और हवा दी है. आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं.

इजराइल-ईरान जंग में सीरिया की भूमिका

जून 2025 में इजराइल ने ईरान पर हवाई हमला किया. इस हमले के लिए इजराइल को सीरिया के हवाई क्षेत्र की जरूरत थी. सीरिया ने तुर्की के दबाव में इजराइल को यह अनुमति दे दी. अल मॉनिटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने तुर्की के कहने पर इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली. सीरिया ने न तो हमले का विरोध किया और न ही समर्थन. इस फैसले ने ईरान को सीरिया से दूर कर दिया, जो मध्य पूर्व में इजराइल का सबसे बड़ा विरोधी है.

इजराइल के सीरिया पर हमले में तुर्की की चुप्पी

जब इजराइल ने ड्रूज क्षेत्र को लेकर सीरिया पर हमला किया, तो तुर्की ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन इस पूरे मामले से दूरी बनाए रहे. तुर्की ने अपने विदेश मंत्री को बयानबाजी के लिए आगे किया, जबकि ईरान पर हमले के समय एर्दोआन ने खुद बयान जारी किया था. यह दोहरा रवैया सवाल उठाता है कि तुर्की की मंशा क्या है?

तुर्की की रणनीति और सीरिया की कमजोरी

तुर्की सीरिया के साथ गुप्त समुद्री और ऊर्जा समझौते करने में जुटा है. एक कमजोर सीरिया तुर्की के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे वह समझौतों में अपनी शर्तें मनवा सकता है. मध्य पूर्व में सीरिया ही एकमात्र ऐसा देश है, जो तुर्की की बात मानता है. सीरिया के राष्ट्रपति अल-असद अपनी सत्ता को मजबूत करने में लगे हैं, और तुर्की इसका फायदा उठा रहा है.