उत्तर और दक्षिण कोरिया के रिश्तों में सुधार की कोशिश, राष्ट्रपति ली ने चीन से मांगी मदद

दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच दशकों से जारी तनाव को कम करने के लिए अब नई पहल शुरू हो गई है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्यांग ने उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को सामान्य करने के प्रयासों में चीन से सहयोग मांगा है.

Date Updated
फॉलो करें:

दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच दशकों से जारी तनाव को कम करने के लिए अब नई पहल शुरू हो गई है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्यांग ने उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को सामान्य करने के प्रयासों में चीन से सहयोग मांगा है. इस कदम को एशिया में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयास माना जा रहा है.

राष्ट्रपति ली ने शनिवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और उत्तर कोरिया के साथ संवाद बहाल करने में उनकी मदद मांगी. यह मुलाकात दक्षिण कोरिया के ऐतिहासिक शहर ग्योंगजू में आयोजित एक शिखर सम्मेलन और राज्य रात्रिभोज के दौरान हुई. यह विशेष था क्योंकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का दक्षिण कोरिया का यह 11 वर्षों में पहला दौरा था.

चीन के सहयोग से तनाव कम करने की कोशिश

दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, शिखर बैठक से पहले शी जिनपिंग ने कहा कि बीजिंग, सियोल के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है और दक्षिण कोरिया को एक विश्वसनीय सहयोगी साझेदार के रूप में देखता है. राष्ट्रपति ली ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही वादा किया था कि वे अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करेंगे, लेकिन साथ ही चीन को नाराज़ किए बिना उत्तर कोरिया के साथ तनाव कम करने की दिशा में भी काम करेंगे.

ली ने कहा, “मैं वर्तमान स्थिति को लेकर आशावादी हूं. उत्तर कोरिया के साथ संवाद के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है.” उन्होंने चीन और उत्तर कोरिया के बीच हाल ही में हुए उच्च-स्तरीय संपर्कों का ज़िक्र करते हुए कहा कि सियोल और बीजिंग को इन परिस्थितियों का फायदा उठाना चाहिए ताकि उत्तर कोरिया के साथ वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए रणनीतिक संवाद को बढ़ावा मिल सके.

परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए चरणबद्ध दृष्टिकोण

राष्ट्रपति ली ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए एक “चरणबद्ध दृष्टिकोण (Phased Approach)” अपनाने की वकालत की है. उनके अनुसार, पहला कदम संवाद बहाली और परमाणु हथियारों के आगे विकास पर रोक लगाना होना चाहिए. इसके बाद धीरे-धीरे विश्वास बहाली और निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है.

उत्तर कोरिया का सख्त रुख बरकरार

हालांकि दक्षिण कोरिया की इस पहल पर उत्तर कोरिया ने कड़ा रुख अपनाया है. शनिवार को जारी एक बयान में प्योंगयांग ने परमाणु निरस्त्रीकरण के एजेंडे को “अवास्तविक कल्पना (Pipe Dream)” करार दिया. उत्तर कोरिया ने दोहराया कि वह दक्षिण कोरिया से कभी बातचीत नहीं करेगा और सियोल को अपना मुख्य दुश्मन बताया.

किम जोंग उन के नेतृत्व में उत्तर कोरिया ने पिछले कुछ वर्षों में दक्षिण के साथ एकीकरण की अपनी पुरानी नीति को त्याग दिया है. हालांकि किम ने यह संकेत दिया है कि वह अमेरिका से संवाद के लिए तैयार हैं, बशर्ते वाशिंगटन परमाणु निरस्त्रीकरण की शर्त छोड़ दे. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सियोल की यात्रा के दौरान वार्ता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन किम जोंग उन ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

चीन और दक्षिण कोरिया के बीच सात समझौते

शी जिनपिंग की यात्रा के दौरान चीन और दक्षिण कोरिया के बीच सात महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इनमें वॉन और युआन के बीच मुद्रा स्वैप समझौता, ऑनलाइन अपराध से निपटने और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने से संबंधित समझौता ज्ञापन (MoUs) शामिल हैं. दोनों नेताओं ने राजनीतिक, व्यापारिक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वी सुंगलाक ने बताया कि बैठक में चीनी प्रतिबंधों, मिसाइल रक्षा प्रणाली (THAAD) की तैनाती के बाद साउथ कोरियाई मनोरंजन सामग्री पर लगे प्रतिबंधों और शिपबिल्डिंग उद्योग पर लगाए गए नियंत्रण जैसे विषयों पर भी बातचीत हुई.

रक्षा मंत्रियों की अलग बैठक

शिखर सम्मेलन के दौरान दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष से अलग मुलाकात की. इस बैठक में दक्षिण कोरिया के एयर डिफेंस जोन में चीनी सैन्य विमानों की उड़ानों पर चर्चा हुई. ली ने चीन द्वारा विवादित जलक्षेत्रों में बनाए गए ढांचों पर भी चिंता जताई.

चीन-विरोधी प्रदर्शन और राष्ट्रपति ली की अपील

शी जिनपिंग की यात्रा के दौरान दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में “चाइना आउट” और “साउथ कोरिया सिर्फ साउथ कोरियाई लोगों का है” जैसे नारों के साथ विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि चीन का बढ़ता प्रभाव देश की संप्रभुता के लिए खतरा है.

इस पर राष्ट्रपति ली ने कहा कि इस तरह के एंटी-चाइना प्रदर्शनों से देश की अंतरराष्ट्रीय छवि और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया है कि हिंसक और भेदभावपूर्ण प्रदर्शनों पर सख्त कार्रवाई की जाए.

भविष्य की राह

राष्ट्रपति ली जे म्यांग की यह पहल उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच जमे हुए रिश्तों को पिघलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. हालांकि, उत्तर कोरिया की कठोर नीतियों और अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के बीच यह देखना बाकी है कि क्या यह कूटनीतिक प्रयास एशियाई क्षेत्र में स्थिरता और संवाद के नए अध्याय की शुरुआत कर पाएगा.