Sheikh Hasina: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोपों ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है. पिछले साल जुलाई-अगस्त 2024 में भेदभाव-विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के लिए शेख हसीना को मुख्य जिम्मेदार ठहराया गया है.
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 में इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है, जिसका नेतृत्व न्यायमूर्ति मोहम्मद गोलाम मुर्तुजा मजूमदार कर रहे हैं. इस ऐतिहासिक सुनवाई का सीधा प्रसारण न्यायाधिकरण के आधिकारिक फेसबुक पेज पर किया गया, जिसने इसे जनता के लिए पारदर्शी बनाया.
छात्र आंदोलन और हिंसा का दौर
2024 में बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण कोटा के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन जल्द ही हिंसक रूप ले चुका था. शेख हसीना की सरकार पर इस आंदोलन को दबाने के लिए अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप है.
विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसा में 400 से अधिक लोगों की जान गई, हालांकि मृतकों की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे हैं. इस आंदोलन को बांग्लादेश में एक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है, और अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने इसे देश के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया है.
हसीना हैं अपराधों का केंद्र
मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने सुनवाई के दौरान दावा किया कि शेख हसीना इस हिंसा और मानवता के खिलाफ अपराधों की केंद्रबिंदु हैं. उनके खिलाफ पांच गंभीर आरोप दर्ज किए गए हैं, जिनमें हत्या, यातना, और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई शामिल हैं.
अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने कोर्ट से अभियुक्तों के लिए अधिकतम सजा की मांग की है. पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल भी इस मामले में सह-अभियुक्त हैं, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए सरकारी गवाह बनने का फैसला किया है.
न्यायिक प्रक्रिया और भविष्य
यह मुकदमा बांग्लादेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. शेख हसीना, जो अगस्त 2024 में इस्तीफा देकर भारत में शरण ले चुकी हैं, के खिलाफ यह सुनवाई उनकी अनुपस्थिति में चल रही है. यह मामला न केवल बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया में भी इसके व्यापक प्रभाव देखे जा सकते हैं.