Harakat al-Nujaba: मध्यपूर्व की भू-राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल देखने को मिल रही है. जैसे ही हमास और हिजबुल्लाह की ताकत में कमी आई, ईरान ने अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए चार नए प्रॉक्सी समूहों को मजबूत किया है. इन समूहों को अमेरिका ने हाल ही में विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है.
ये समूह हैं- हरकात अल-नुजाबा, कताइब सैय्यद अल-शुहदा, हरकात अंसार अल्लाह अल-अवफिया और कताइब इमाम अली. अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि ये संगठन ईरान के समर्थन से हथियार, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं, जिससे ये अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ हमले करने में सक्षम हैं.
ईरान का भरोसेमंद सहयोगी
2013 में स्थापित हरकात अल-नुजाबा का नेतृत्व अकरम अल-काबी करते हैं. यह समूह ईरान की क़ुद्स फोर्स के साथ मिलकर काम करता है और इस्लामिक रेजिस्टेंस की विचारधारा को अपनाता है. इसने सीरिया के अलेप्पो में कताइब हिजबुल्लाह के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अमेरिका का दावा है कि ईरान इस समूह को धन, हथियार और खुफिया जानकारी प्रदान करता है, जिससे यह क्षेत्र में अपनी रणनीति को लागू करता है.
शिया पवित्र स्थलों की रक्षा का दावा
2013 में गठित कताइब सैय्यद अल-शुहदा का घोषित उद्देश्य शिया पवित्र स्थलों की रक्षा करना है. यह समूह सीरियाई शासन के समर्थन में सक्रिय रहा है और इराक में अमेरिकी दूतावास और सैन्य ठिकानों पर हमलों में शामिल होने का आरोप झेल रहा है. यह समूह भी ईरान के वित्तीय और सैन्य समर्थन पर निर्भर है.
हरकात अंसार अल्लाह अल-अवफिया और कताइब इमाम अली भी ईरान के समर्थन से संचालित होते हैं. ये समूह स्थानीय स्तर पर अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय बलों के खिलाफ सक्रिय हैं. इनके जरिए ईरान क्षेत्र में अपने प्रभाव को बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रहा है.
अमेरिका की 'मैक्सिमम प्रेशर' नीति
अमेरिका ने इन समूहों को आतंकवादी घोषित कर अपनी 'मैक्सिमम प्रेशर' नीति को और सख्त किया है. इसका लक्ष्य ईरान को अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को वित्तीय और सैन्य सहायता देने से रोकना है. पहले भी अमेरिका ने कताइब हिजबुल्लाह और असाइब अहल अल-हक जैसे समूहों के नेताओं पर प्रतिबंध लगाए थे. अमेरिका का कहना है कि ये सभी समूह ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के निर्देश पर काम करते हैं और तेहरान की क्षेत्रीय रणनीति को आगे बढ़ाते हैं.
ईरान और अमेरिका के बीच यह शक्ति संघर्ष मध्यपूर्व में तनाव को और बढ़ा रहा है. नए प्रॉक्सी समूहों के उभरने और अमेरिका की कड़ी कार्रवाई से क्षेत्रीय स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं. आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये घटनाक्रम मध्यपूर्व की भू-राजनीति को किस दिशा में ले जाते हैं.