Sheikh Hasina: बांग्लादेश की राजनीतिक हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले साल छात्र आंदोलनों से उपजी अराजकता ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता को उखाड़ फेंका था. 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को देश छोड़कर भारत भागना पड़ा, और उनकी पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लग गया. अंतरिम सरकार के नेतृत्व में मोहम्मद यूनुस ने अवामी लीग को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गैरकानूनी घोषित कर दिया, जिससे पार्टी की गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गईं.
लेकिन पार्टी के समर्थक चुप नहीं बैठे. वे छिटपुट जुलूसों और विरोध प्रदर्शनों के जरिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, जिसके जवाब में पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है. आंकड़े चौंकाने वाले हैं: पिछले 13 महीनों में अवामी लीग के 44,000 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. यह आंकड़ा न केवल पार्टी की कमजोर होती जड़ों को दर्शाता है, बल्कि बांग्लादेश की उथल-पुथल भरी राजनीति का आईना भी है.
प्रतिबंध और विरोध की आग
2024 के मध्य में शुरू हुए छात्र-नेतृत्व वाले भेदभाव-विरोधी आंदोलन ने शेख हसीना सरकार को जड़ से हिला दिया. जुलाई-अगस्त में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सैकड़ों लोग मारे गए, और अंततः 5 अगस्त को हसीना को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद अंतरिम सरकार ने अवामी लीग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें पार्टी के सभी कार्यक्रम, जुलूस और यहां तक कि ऑनलाइन गतिविधियां शामिल हैं.
मई 2025 में संशोधित आतंकवाद विरोधी कानून के तहत यह बैन औपचारिक रूप से लागू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी चुनावों से भी बाहर हो गई. 2026 में प्रस्तावित आम चुनावों से पहले अवामी लीग की स्थिति और भी दयनीय हो चुकी है.
पार्टी के कई वरिष्ठ नेता फरार हैं, और शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है. इंटरपोल की मदद से उन्हें वापस लाने की कोशिशें चल रही हैं. ऐसे में अवामी लीग के कार्यकर्ता भूमिगत तरीके से सक्रिय हैं, लेकिन हर कदम पर पुलिस का डंडा तैयार रहता है.
44,472 गिरफ्तारियां और जमानत का खेल
पुलिस की एक रिपोर्ट 'फासीवाद में शामिल व्यक्तियों की गिरफ्तारी और जमानत की जानकारी' ने इस संकट की गहराई उजागर की है. 5 अगस्त 2024 से 3 सितंबर 2025 तक के 13 महीनों में कुल 44,472 अवामी लीग कार्यकर्ताओं और सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से अधिकांश पर भेदभाव-विरोधी आंदोलन दबाने, राज्य-विरोधी गतिविधियों या शेख हसीना सरकार के पतन के बाद की तोड़फोड़ के आरोप लगे.
रिपोर्ट के मुताबिक, इन गिरफ्तारियों में कुछ पार्टी पदाधिकारी शामिल हैं, तो कुछ वे लोग जिन्हें हसीना सरकार का सहयोगी माना गया. चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 32,371 को जमानत मिल चुकी है, जो कुल आरोपियों का लगभग 73 प्रतिशत है. पुलिस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि ये गिरफ्तारियां अलग-अलग मामलों में हुईं, लेकिन जमानत की इतनी ऊंची दर ने सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या न्यायिक प्रक्रिया में कोई खामी है, या यह राजनीतिक दबाव का नतीजा है? यह बहस बांग्लादेश की अदालतों में गूंज रही है.
आतंकवाद के नाम पर साजिश? 97 मामले और 1,123 गिरफ्तारियां
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) के आंकड़े और भी चिंताजनक हैं. राजधानी में अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों, जैसे छात्र लीग, के अवैध जुलूसों और कार्यक्रमों से जुड़े 97 मामलों को आतंकवाद-रोधी अधिनियम के तहत दर्ज किया गया. इनमें 1,123 लोगों को पकड़ा गया, जिनमें से 403 को जमानत प्राप्त हो चुकी है. यह कार्रवाई केवल ढाका तक सीमित नहीं रही. हाल ही में 24 सितंबर 2025 को अवामी लीग के एक फ्लैश मार्च की तैयारी की खबर मिलते ही पुलिस अलर्ट हो गई.
विभिन्न स्थानों पर तैनाती के बाद मार्च के दौरान 244 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. इसी तरह, 16 सितंबर को श्यामोली इलाके में अचानक निकाले गए जुलूस में कई लोग हिरासत में लिए गए. ये घटनाएं दर्शाती हैं कि प्रतिबंधित होने के बावजूद अवामी लीग के समर्थक सड़कों पर उतरने से नहीं हट रहे, और सरकार की सख्ती बढ़ती जा रही है.
चटगांव में सबसे ज्यादा तो सिलहट में सबसे कम
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, 5 अगस्त 2024 के बाद अवामी लीग से जुड़ी गतिविधियों पर कार्रवाई आठ रेंजों में हुई. सबसे अधिक गिरफ्तारियां चटगांव रेंज में दर्ज की गईं. कुल 7,823 लोग पकड़े गए, जिनमें से 6,275 (80 प्रतिशत) को जमानत मिली. इसके बाद ढाका में 7,355 गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन जमानत दर अपेक्षाकृत कम रही. 4,806 (65 प्रतिशत). राजशाही रेंज में 5,018 गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें 4,221 (84 प्रतिशत) जमानत पर रिहा हो चुके.
खुलना में 5,992, बरिसाल में 1,776, रंगपुर में 3,891 और मायमेनसिंह में 3,036 गिरफ्तारियां दर्ज हैं. जमानत के मामले में बरिसाल सबसे आगे है (88 प्रतिशत), जबकि मायमेनसिंह में यह केवल 48 प्रतिशत रहा. सिलहट रेंज में सबसे कम 1,398 गिरफ्तारियां लेकिन जमानत दर ऊंची (84 प्रतिशत) रही. ये आंकड़े बताते हैं कि अवामी लीग का प्रभाव पूरे देश में फैला हुआ था, लेकिन अब पुलिस की नजर हर कोने पर है.
चार सदस्यीय समिति गठन
इतनी तेजी से जमानत मिलने पर सवाल उठे तो 14 सितंबर 2025 को गृह मंत्रालय ने एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया. इसकी अध्यक्षता एक संयुक्त सचिव करेंगे, और इसमें कानून मंत्रालय, अटॉर्नी जनरल कार्यालय तथा पुलिस के प्रतिनिधि शामिल होंगे. समिति का काम है जांचना कि आतंकवाद-रोधी मामलों में आरोपी इतनी जल्दी जमानत कैसे प्राप्त कर लेते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा, लेकिन राजनीतिक रूप से संवेदनशील है.
अवामी लीग के नेताओं ने इसे 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया है, जबकि अंतरिम सरकार इसे 'न्याय का हिस्सा' बता रही है. 2026 के चुनाव नजदीक आते ही यह संघर्ष और तेज होगा. क्या अवामी लीग भूमिगत रहकर वापसी कर पाएगी, या प्रतिबंध ने इसे हमेशा के लिए नेस्तनाबूद कर दिया? समय ही बताएगा. फिलहाल, बांग्लादेश की सड़कें और अदालतें इस संघर्ष की गवाह बनी हुई हैं.