ग्रीस में बंद हो रहे स्कूल, देश पर मंडरा रहा संकट! जानिए वजह

देश में 750 से अधिक स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है और इसका कारण न तो कोई प्राकृतिक आपदा है, न ही कोई अलर्ट. इसके पीछे की वजह है ग्रीस में तेजी से गहराता जन्मदर का संकट, जो अब शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है.

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Greece School Closures: ग्रीस को प्राचीन काल से देवताओं की धरती कहा जाता है, आज एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है. देश में 750 से अधिक स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है और इसका कारण न तो कोई प्राकृतिक आपदा है, न ही कोई अलर्ट. इसके पीछे की वजह है ग्रीस में तेजी से गहराता जन्मदर का संकट, जो अब शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है.

शिक्षा व्यवस्था पर जनसंख्या संकट की मार

नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले ग्रीस सरकार ने घोषणा की कि देशभर में 766 स्कूलों का संचालन स्थगित कर दिया जाएगा. शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले सात वर्षों में प्राथमिक शिक्षा में नामांकन 1.11 लाख से अधिक घट चुका है, जो 2018 की तुलना में 19% की कमी है. न्यूनतम 15 विद्यार्थियों की शर्त पूरी न होने के कारण ये स्कूल बंद किए गए हैं. प्राथमिक स्कूलों के साथ-साथ अब माध्यमिक स्कूल भी इस संकट की चपेट में आ रहे हैं.

जन्मदर में गिरावट एक गंभीर चुनौती

ग्रीस में जनसंख्या में कमी का दौर 2010 से शुरू हुआ. 2011 के बाद से देश में जन्मों की तुलना में मृत्यु की संख्या लगातार अधिक रही है. 2001 से 2021 के बीच प्रजनन की मुख्य आयु वर्ग (20-40 वर्ष) की महिलाओं की संख्या में 31% की कमी आई, जो लगभग पांच लाख है. इसके अलावा, आर्थिक संकट के दौरान कई शिक्षित ग्रीक नागरिक बेहतर अवसरों की तलाश में विदेश चले गए, जिससे संभावित अभिभावकों की संख्या और कम हो गई.

बदलते सामाजिक रुझान

Financial Times की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीस में महिलाएं अब औसतन 32 वर्ष की आयु में पहला बच्चा जन्म देती हैं. 2022 में ग्रीस में केवल 80,000 से कम जन्म दर्ज किए गए, जबकि 2023 में मृत्यु की संख्या इससे लगभग दोगुनी थी. विवाह के बाहर बच्चों का जन्म ग्रीस में अभी भी असामान्य है, जो इस संकट को और गंभीर बनाता है.

ग्रीस का यह संकट केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है; यह देश के सामाजिक और आर्थिक भविष्य को भी प्रभावित कर रहा है. सरकार को इस दिशा में ठोस नीतियां बनानी होंगी ताकि जन्मदर को बढ़ावा दिया जा सके और शिक्षा व्यवस्था को स्थिर रखा जा सके.