Saudi Arabia: सऊदी अरब ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ एक महत्वपूर्ण रणनीतिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट (SMDA) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता कतर पर इजराइली हमले के बाद हुआ, जिससे मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और इजराइल के खतरे को लेकर चिंताएँ बढ़ी हैं. इस समझौते को क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. सऊदी अरब का यह कदम क्षेत्रीय शक्तियों के बीच बदलते समीकरणों का संकेत देता है.
हिजबुल्लाह का सऊदी अरब को प्रस्ताव
हिजबुल्लाह के नेता हसन कासिम ने सऊदी अरब से इजराइल के खिलाफ एक साझा मोर्चा बनाने की अपील की है. कासिम ने तीन सिद्धांतों पर आधारित एक नए सहयोग की वकालत की: आपसी संवाद के जरिए विवादों का समाधान, इजराइल को साझा दुश्मन मानना, और पुराने मतभेदों को भुलाकर नई शुरुआत करना. उन्होंने स्पष्ट किया कि हिजबुल्लाह के हथियार केवल इजराइल के खिलाफ हैं, न कि सऊदी अरब या किसी अन्य देश के.
सऊदी अरब और हिजबुल्लाह के बीच लंबे समय से तनाव रहा है, जो मुख्य रूप से ईरान के साथ सऊदी की प्रतिद्वंद्विता से उपजा है. 2016 में, सऊदी के नेतृत्व वाले खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) ने हिजबुल्लाह को आतंकवादी संगठन घोषित किया था. यह कदम सीरियाई गृहयुद्ध में हिजबुल्लाह की भूमिका और यमन में हूती विद्रोहियों को समर्थन देने के कारण उठाया गया था.
हिजबुल्लाह पर दबाव और उसका जवाब
अमेरिका लेबनान सरकार पर हिजबुल्लाह से हथियार छुड़वाने के लिए दबाव डाल रहा है. हालांकि, कासिम ने इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए चेतावनी दी कि हिजबुल्लाह को कमजोर करना केवल इजराइल के हित में होगा. उन्होंने कहा कि यदि हिजबुल्लाह को निशाना बनाया गया, तो अन्य देशों की बारी भी आ सकती है. सऊदी अरब और हिजबुल्लाह के बीच संभावित सहयोग मध्य पूर्व की भू-राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सऊदी अरब इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है और इजराइल के खिलाफ एक साझा रणनीति बनती है.