Gaza War: अमेरिका ने हाल ही में गाजा युद्ध खत्म करने के लिए 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव पेश किया था. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस प्लान की घोषणा की. लेकिन अब इस प्रस्ताव की तीन शर्तों पर हमास ने ऐतराज जताया है. हमास की आपत्तियों को लेकर कतर ने अमेरिका से बदलाव की मांग की है.
कतर के प्रधानमंत्री अल थानी ने खुद मोर्चा संभाला है और ट्रंप प्रशासन से सीधी बातचीत शुरू कर दी है. प्रस्ताव में यह जरूर कहा गया है कि इजराइली सैनिक फिलिस्तीन से बाहर निकल जाएंगे, लेकिन यह साफ नहीं किया गया कि वे कब तक लौटेंगे. यही बात हमास को स्वीकार्य नहीं है.
हमास की भूमिका पर आपत्ति
शांति प्रस्ताव में लिखा है कि अगर हमास शर्तें नहीं मानता तो अमेरिका कार्रवाई करेगा. लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में अगर इजराइल समझौते का उल्लंघन करता है, तो अमेरिका का रुख क्या होगा. ट्रंप प्लान के मुताबिक, हमास को गाजा से बाहर कर दिया जाएगा. जबकि पहले कतर के प्रस्ताव में यह प्रावधान था कि हमास के लड़ाके अहिंसक तरीके से गाजा में रह सकते हैं और सत्ता में उनकी भागीदारी बनी रह सकती है.
कतर की दलील और आगे की रणनीति
कतर का कहना है कि इन तीनों शर्तों पर संशोधन जरूरी है. अगर हमास को पूरी तरह बाहर किया गया या उसकी भूमिका सीमित कर दी गई, तो युद्धविराम अस्थायी साबित होगा. कतर चाहता है कि अमेरिका इस पर नई सफाई दे और शर्तों में लचीलापन दिखाए.
अल थानी ने अमेरिकी वार्ताकारों से सीधे संपर्क साधा है और स्पष्ट किया है कि जब तक इन बिंदुओं पर सहमति नहीं बनती, हमास का "हां" मिलना मुश्किल है. कतर की राय में स्थायी शांति के लिए हमास को किसी न किसी रूप में प्रक्रिया में शामिल करना जरूरी है.
अगला कदम क्या?
हमास को अमेरिकी प्रस्ताव पर जवाब देने के लिए 4 दिन का समय मिला है. अगर इस अवधि में कोई प्रतिक्रिया नहीं आती, तो अमेरिका खुद को इस डील से अलग कर सकता है. इस बीच, कतर में मौजूद हमास प्रतिनिधि प्रस्ताव का अध्ययन कर रहे हैं. गौरतलब है कि पिछले दो साल से जारी इजराइल-हमास संघर्ष में अब तक 66 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं. ऐसे में कतर की कोशिश है कि यह समझौता केवल अस्थायी विराम नहीं बल्कि स्थायी समाधान की दिशा में कदम साबित हो.