Asim Munir US visit: पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर अपने अमेरिकी दौरे को लेकर इस समय विवादों में घिर गए हैं. वॉशिंगटन में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के दुर्लभ खनिज (Rare Earth Minerals) भेंट किए. लेकिन यह कदम पाकिस्तान की राजनीति में तगड़ा तूफान खड़ा कर गया है. विपक्ष का कहना है कि आर्मी चीफ का यह व्यवहार देश की संप्रभुता और लोकतंत्र का मजाक है.
संसद में उठा मामला
अवामी नेशनल पार्टी (ANP) के अध्यक्ष और सीनेटर ऐमल वली खान ने संसद में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. उन्होंने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि “हमारे आर्मी चीफ दुकानदार की तरह रेयर अर्थ मिनरल्स का ब्रीफकेस लेकर घूम रहे हैं. यह मजाक है. दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान का सेना प्रमुख किस तरह विदेशी नेताओं को हमारे रणनीतिक संसाधन दिखा रहा है.”
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— Aimal Wali Khan (@AimalWali) September 28, 2025
वली खान ने सवाल किया कि आखिर किस कानून या अधिकार के तहत सेना प्रमुख ऐसे संवेदनशील संसाधन विदेशी नेताओं को पेश कर सकते हैं. उनके अनुसार, यह न केवल संसद की अवमानना है बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है.
तस्वीर ने मचाया विवाद
अमेरिकी दौरे के दौरान व्हाइट हाउस से जारी एक तस्वीर में आसिम मुनीर को डोनाल्ड ट्रंप को एक लकड़ी का डिब्बा देते हुए देखा गया. बताया गया कि उस डिब्बे में पाकिस्तान के रेयर अर्थ मिनरल्स रखे थे. यही तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई और पाकिस्तान में सियासी हलचल का कारण बनी. विपक्ष का कहना है कि यह काम प्रधानमंत्री का है, सेना प्रमुख का नहीं.
वली खान ने सीनेट में व्यंग्य करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मैनेजर की तरह खड़े तमाशा देख रहे थे और दुकानदार (मुनीर) ग्राहक को सामान बेचने की कोशिश कर रहा था. यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है.”
पाकिस्तान में बेचैनी
मीटिंग के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध रोका था. ट्रंप ने कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और फील्ड मार्शल मेरे पास आए और कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बहुत बड़ा युद्ध रोका.” इस बयान पर ट्रंप ने गर्व जताया, लेकिन पाकिस्तान में इस पूरे घटनाक्रम ने बेचैनी और असंतोष बढ़ा दिया है.
आसिम मुनीर का अमेरिकी दौरा पाकिस्तान की कूटनीति के बजाय घरेलू राजनीति में विवाद का मुद्दा बन गया है. विपक्ष का मानना है कि सेना प्रमुख ने देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और लोकतंत्र को कमजोर किया है. अब देखना यह होगा कि सरकार इस आलोचना का कैसे जवाब देती है.