रूस के विशाल बाजार में भारत के लिए खुल रहे नए दरवाजे, क्या अमेरिकी नीति बनेगी गेम-चेंजर?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को नई ऊर्जा दी है. वैश्विक व्यापार में तेज़ी से बदलते समीकरण, अमेरिका की नई शुल्क नीति और भारत की निर्यात रणनीति के बीच यह दौरा उन सेक्टरों में नए अवसर लेकर आया है.

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Putin's visit to India: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को नई ऊर्जा दी है. वैश्विक व्यापार में तेज़ी से बदलते समीकरण, अमेरिका की नई शुल्क नीति और भारत की निर्यात रणनीति के बीच यह दौरा उन सेक्टरों में नए अवसर लेकर आया है, जहां अब तक क्षमता के बावजूद भारत की मौजूदगी सीमित रही है.

अमेरिका द्वारा आयात शुल्क बढ़ाए जाने से भारत के निर्यातकों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं. ऐसे माहौल में रूस का विशाल उपभोक्ता बाजार भारत के लिए एक बेहतर और स्थिर विकल्प के तौर पर उभर रहा है. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल का मानना है कि यह यात्रा व्यापारिक रिश्तों के नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है.

भारत-रूस व्यापार में दोगुनी बढ़ोतरी की उम्मीद

गोयल के अनुसार, भारत वर्तमान में रूस को लगभग 5 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जबकि चीन 115 अरब डॉलर का निर्यात कर वहां की मार्केट में मजबूत पकड़ बनाए हुए है. उनका कहना है कि पुतिन की यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी और निकट भविष्य में भारत का निर्यात 10 अरब डॉलर सालाना तक पहुंच सकता है. यह उम्मीद इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि दोनों देशों ने स्थानीय मुद्रा में व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया है, जिससे भुगतान संबंधी जटिलताओं में कमी आएगी और कंपनियों को अधिक लचीलापन मिलेगा.

स्मार्टफोन, दवा और कपड़ा

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता होने के बावजूद रूस को सिर्फ 7.5 करोड़ डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात करता है. दवा क्षेत्र में भारत की पहचान वैश्विक बाजार में बेहद मजबूत है, फिर भी रूस को केवल 24.5 करोड़ डॉलर के फार्मा उत्पाद भेजे जाते हैं. कपड़ा क्षेत्र में भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है, भारत का रूस को निर्यात महज 2.9 करोड़ डॉलर है, जबकि रूस का कपड़ा बाजार व्यापक और बढ़ता हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि यही वे सेक्टर हैं जहां भारत की हिस्सेदारी कई गुना बढ़ सकती है.

कई सेक्टरों में दिख रही बड़ी संभावनाएं

इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, फार्मा, कपड़ा और घरेलू उत्पाद इन सभी क्षेत्रों में भारत के लिए रूसी बाजार में अच्छी पकड़ बनाने का मौका है. गोयल का कहना है कि स्थानीय मुद्रा में व्यापार लागू होने से भारतीय उत्पादों की पहुंच और आसान हो जाएगी. ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 50% आयात शुल्क बढ़ाए जाने से घरेलू निर्यातकों को सीधे असर पड़ा है. विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका के लगातार बदलते व्यापारिक रुख से अस्थिरता बढ़ रही है, ऐसे में रूस एक स्थिर रणनीतिक साझेदार साबित हो सकता है.

रक्षा और समुद्री व्यापार में नए रास्ते

भारत और रूस के बीच रक्षा संबंध पहले से ही मजबूत हैं. भविष्य में रूस की तकनीक और भारत की उत्पादन क्षमता मिलकर रक्षा उत्पादन को नए स्तर पर ले जा सकती है. वहीं रूस भारतीय समुद्री उत्पादों में बढ़ती रुचि दिखा रहा है, जिससे इस क्षेत्र में भी निर्यात बढ़ने की पूरी संभावना है. पुतिन की भारत यात्रा ने सिर्फ कूटनीति को नहीं, बल्कि व्यापारिक मोर्चे को भी गति दी है. यदि दोनों देश अपनी रणनीतियों को समय पर लागू करते हैं, तो भारत रूस के विशाल बाजार में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा सकता है और यह बदलाव वैश्विक व्यापार की नई दिशा तय कर सकता है.