अमेरिका की बड़ी कूटनीतिक जीत! नेपाल में ओली का पतन, चीन को 12,000 किमी दूर से धक्का

नेपाल की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने न केवल स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है, बल्कि पूरे एशियाई महाद्वीप की शक्ति संतुलन को प्रभावित कर दिया है. सितंबर 2025 में मात्र दो दिनों के भीषण प्रदर्शनों ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता से बाहर कर दिया.

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Nepal Political Crisis: नेपाल की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने न केवल स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है, बल्कि पूरे एशियाई महाद्वीप की शक्ति संतुलन को प्रभावित कर दिया है. सितंबर 2025 में मात्र दो दिनों के भीषण प्रदर्शनों ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता से बाहर कर दिया.

ये आंदोलन, जो मुख्य रूप से जेन जेड युवाओं द्वारा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और असमानता के खिलाफ भड़के, ने सोशल मीडिया प्रतिबंध को ट्रिगर बनाकर तेजी से हिंसक रूप धारण कर लिया. रिपोर्ट्स के अनुसार, काठमांडू और अन्य शहरों में हुई झड़पों में कम से कम 19-22 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों घायल हुए. ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद संसद भवन और सरकारी इमारतों में आगजनी की घटनाएं हुईं.

ओली को चीन का करीबी माना जाता था, जिन्होंने बीजिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को बढ़ावा दिया था. उनके कार्यकाल में नेपाल का झुकाव स्पष्ट रूप से चीन की ओर बढ़ा था, जिसमें चीनी विजय दिवस परेड में भागीदारी भी शामिल थी. लेकिन अब, इस बदलाव से अमेरिका को फायदा होता दिख रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटनाएं महज आंतरिक विद्रोह नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संघर्ष का हिस्सा हैं, जहां अमेरिका ने दूर से ही चीन को करारा झटका दिया है. नेपाल, जो भारत और चीन के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता रहा है, अब पश्चिमी प्रभाव की ओर मुड़ता नजर आ रहा है.

MCC प्रोजेक्ट और चीन के खिलाफ रणनीति

मीडिया विश्लेषणों से संकेत मिलते हैं कि नेपाल के आंदोलन में अमेरिका की भूमिका निर्णायक रही. इस वर्ष अमेरिका ने मिलेनियम चैलेंज कॉम्पैक्ट (एमसीसी) को पुनर्जीवित किया, जो लगभग 500 मिलियन डॉलर की सहायता पर आधारित है. यह प्रोजेक्ट ऊर्जा पारेषण और सड़क सुधार पर केंद्रित है, जिसे सीधे चीन की बीआरआई का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है. 2017 में हस्ताक्षरित इस समझौते को 2022 में नेपाल संसद ने मंजूरी दी, लेकिन 2025 में ट्रंप प्रशासन के फंड फ्रीज के बाद फिर से सक्रिय किया गया.

विशेषज्ञों के अनुसार, ओली के खिलाफ युवाओं की नाराजगी को भड़काने में एमसीसी से जुड़े हितों ने भूमिका निभाई, क्योंकि ओली बीआरआई को प्राथमिकता दे रहे थे.अमेरिकी विदेश विभाग ने नेपाल को "लोकतांत्रिक शासन और स्थिरता" का साझेदार बताया है, लेकिन आलोचक इसे चीन के प्रभाव को कम करने की रणनीति मानते हैं. नेपाल जैसे भू-रणनीतिक महत्व वाले देश में अमेरिका की यह चाल 12,000 किलोमीटर दूर से चीन को परास्त करने जैसी है, क्योंकि बीआरआई के तहत नेपाल में चीनी निवेश रुका पड़ा है. अब, ओली के हटने से एमसीसी को गति मिल सकती है, जो भारत-नेपाल ऊर्जा व्यापार को भी बढ़ावा देगा.

भारत के करीब नया नेतृत्व

ओली के इस्तीफे के बाद सत्ता का अंतरिम प्रबंधन पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को सौंपा जा रहा है. 73 वर्षीय कार्की, नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (2016-2019), जेन जेड प्रदर्शनकारियों द्वारा डिस्कॉर्ड सर्वे के माध्यम से चुनी गईं. उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी छवि ने उन्हें लोकप्रिय बनाया.

कार्की ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में मास्टर्स किया है और भारत से मजबूत संबंध रखती हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि नेपाल अब क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करेगा.यह बदलाव नेपाल को चीन से दूर और भारत-अमेरिका के करीब ले जाता है. कार्की के नेतृत्व में छह महीने में चुनाव होने हैं, जो युवाओं की मांगों को पूरा करेंगे. विश्लेषकों का कहना है कि इससे नेपाल की विदेश नीति में संतुलन बदलेगा, जहां भारत की भूमिका बढ़ेगी.

 टैरिफ विवाद से उबराव

कुछ वर्षों पहले भारत-अमेरिका संबंध टैरिफ विवादों से प्रभावित हुए थे, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. अगले सप्ताह अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत आ सकता है, जहां बोइंग-8I विमान सौदे पर चर्चा होगी. ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 2025 में भारत पर 25% टैरिफ लगाए, जो रूसी तेल खरीद से जुड़े थे, लेकिन अब सौहार्दपूर्ण वार्ता हो रही है.

ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि दोनों देश "जटिल लेकिन मजबूत" संबंधों को सुलझाएंगे. यदि टैरिफ स्पष्टता आती है, तो व्यापार समझौता पटरी पर लौटेगा.भारत एशिया में चीन को चुनौती देने वाली एकमात्र शक्ति है, और अमेरिका इसे समझता है. 

ट्रंप की नई रणनीति

पाकिस्तान लंबे समय से चीन का सबसे नजदीकी सहयोगी रहा है, लेकिन आर्थिक संकटों ने स्थिति बदल दी. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रति नरमी दिख रही है. जून 2025 में पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ डिनर किया, जो पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख को अकेले आमंत्रित करना था.

ट्रंप ने मुनीर को अत्यंत प्रभावशाली बताया, खासकर भारत-पाक संघर्ष में मध्यस्थता के लिए.यह कदम चीन के सबसे भरोसेमंद साथी को अमेरिकी खेमे में खींचने की कोशिश है. काउंटर-टेररिज्म सहयोग बढ़ा है, और व्यापार सौदे पर चर्चा हो रही है. लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि यह "रणनीतिक रोमांस" अस्थायी हो सकता है, क्योंकि पाकिस्तान की आंतरिक चुनौतियां बनी रहेंगी.