बालेन शाह, राजशाही या सेना किसका होगा नेपाल, जानिए Gen-Z युवाओं की पहली पसंद

नेपाल में काठमांडू और आसपास के इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 400 से अधिक घायल हुए हैं.

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Nepal movement: नेपाल में काठमांडू और आसपास के इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 400 से अधिक घायल हुए हैं.

हालात अनियंत्रित होने के बाद नेपाली सेना ने मंगलवार रात 10 बजे से देश की कमान संभाल ली है. इस संकट के बीच नेपाल का भविष्य तीन प्रमुख ध्रुवों - सेना, बालेन शाह और राजशाही की मांग - के इर्द-गिर्द घूम रहा है.

अंतरिम सरकार की संभावना

नेपाली सेना ने न केवल सुरक्षा की जिम्मेदारी ली, बल्कि राजनीतिक समाधान में भी सक्रिय भूमिका निभाने की ओर अग्रसर है. सेना प्रमुख अशोक राज आज युवाओं से बातचीत करने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, सेना और आंदोलनकारी युवाओं के बीच अंतरिम सरकार के गठन पर चर्चा चल रही है. यह कदम देश में स्थिरता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है.

युवाओं का नया नायक

काठमांडू के मेयर बालेन शाह इस आंदोलन के सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक बनकर उभरे हैं. उनकी स्वच्छ और पारदर्शी छवि ने उन्हें युवाओं का प्रिय बना दिया है. प्रदर्शनकारी उन्हें अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. इसके अलावा, पूर्व पत्रकार और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के नेता रबी लामिछाने भी दौड़ में हैं, जिन्हें 21 सांसदों के सामूहिक इस्तीफे के बाद युवाओं का समर्थन प्राप्त है.

राजशाही की वापसी की मांग

राजनीतिक अस्थिरता के बीच राजशाही समर्थकों ने फिर से सिर उठाया है. उनका दावा है कि लोकतंत्र की विफलता के कारण संवैधानिक राजशाही की वापसी जरूरी है. यह मांग आंदोलन के पहले दिन से ही जोर पकड़ रही है, जिससे राजशाही समर्थकों को नया बल मिल सकता है.

युवा (Gen-Z) आंदोलनकारियों की सक्रियता को देखते हुए अंतरिम सरकार में उनकी भागीदारी पर सहमति बन रही है. नेपाली कांग्रेस के शेखर कोइराला जैसे नेताओं को शामिल कर संतुलन बनाने की कोशिश हो सकती है. यह कदम पुराने दलों के बहिष्कार को रोकने में मददगार साबित होगा.