Saudi Arabia-Palestine: सऊदी अरब ने इजराइल के पड़ोस में बैठकर एक बड़ा कूटनीतिक खेल खेला है. फ्रांस द्वारा फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश की मान्यता देने की घोषणा के पीछे सऊदी अरब की रणनीति काम कर रही है. सऊदी के प्रयासों ने इजराइल और अमेरिका के विरोध को दरकिनार करते हुए फ्रांस को यह ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया.
क्राउन प्रिंस की मैक्रों से वार्ता
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से गहन चर्चा की. उन्होंने बताया कि फिलिस्तीन को मान्यता देने से क्षेत्र में युद्धविराम संभव है. जून 2025 में क्राउन प्रिंस ने इस मुद्दे पर एक वैश्विक अभियान भी शुरू किया था. सऊदी का मानना है कि 1967 की सीमाओं के आधार पर पूर्वी येरुशलम को फिलिस्तीन की राजधानी बनाकर विवाद का हल निकाला जा सकता है. सऊदी इस सिद्धांत पर आधारित शिखर सम्मेलन का नेतृत्व भी कर रहा है, जो इस महीने न्यूयॉर्क में आयोजित होगा.
इजराइल के लिए क्यों है झटका?
फिलिस्तीन को मान्यता मिलना इजराइल के लिए बड़ा झटका है. पहला, फिलिस्तीन एक स्वतंत्र राष्ट्र बनकर अपनी सेना गठित कर सकेगा, जो अभी तक प्रतिबंधित है. दूसरा, गाजा और वेस्ट बैंक के बफर जोन फिलिस्तीन के नियंत्रण में वापस आ सकते हैं. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का दावा है कि इससे ईरान क्षेत्र में सक्रिय होकर आतंकवाद को बढ़ावा देगा. सऊदी अरब अब ब्रिटेन जैसे देशों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश में है. न्यूयॉर्क में होने वाली बैठक इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है.