Middle East: मध्य पूर्व में पिछले 24 घंटों में ईरान ने अपनी कूटनीतिक चालों से अमेरिका की रणनीति को करारा झटका दिया है. आर्मेनिया और लेबनान में ईरान ने ऐसी बिसात बिछाई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजनाएं बैकफुट पर चली गईं. इसके अलावा इराक के साथ हुए एक समझौते ने भी अमेरिका की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
आर्मेनिया में जंगेजुर कॉरिडोर पर ईरान का दांव
पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप ने अजरबैजान और आर्मेनिया के नेताओं के साथ जंगेजुर कॉरिडोर को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक की थी. यह कॉरिडोर अजरबैजान और आर्मेनिया की सीमा से होकर गुजरता है, जिसे ईरान अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है.
इस समझौते के तुरंत बाद ईरान ने अपनी कूटनीति तेज कर दी. ईरान के विदेश मंत्री ने आर्मेनिया का दौरा किया, और राष्ट्रपति पेजेशकियन ने भी आर्मेनियाई नेताओं से बातचीत की.
इसके परिणामस्वरूप, आर्मेनिया ने जंगेजुर कॉरिडोर पर सहमति से यू-टर्न ले लिया और इसे रद्द करने की घोषणा कर दी. ईरान ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी सीमा पर अमेरिकी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा. इस कदम ने अमेरिका की क्षेत्रीय रणनीति को कमजोर कर दिया.
लेबनान में हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थन
लेबनान में अमेरिका के दबाव में वहां की सरकार हिजबुल्लाह को निशस्त्र करने की कोशिश में थी. लेकिन, ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली लारिजानी के बेरूत दौरे ने समीकरण बदल दिए. लारिजानी, जो सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के करीबी माने जाते हैं, ने हिजबुल्लाह के प्रमुख नईम कासिम से मुलाकात की और संगठन को खुला समर्थन दिया.
लारिजानी के इस दौरे ने लेबनान की सरकार को मुश्किल में डाल दिया, क्योंकि अब अमेरिकी दबाव में कोई कदम उठाने से देश में अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है.
इराक के साथ समझौता
ईरान ने इराक के साथ सीमा सुरक्षा को लेकर एक अहम समझौता किया है. 1100 किलोमीटर लंबी सीमा पर यह समझौता ईरान को इराकी क्षेत्र में दुश्मनों पर हमला करने की अनुमति देता है. अमेरिका ने इस समझौते का विरोध किया, क्योंकि इराक का हवाई क्षेत्र पहले इजराइल द्वारा ईरान के खिलाफ इस्तेमाल किया जा चुका है.