Belém Brazil: अगले महीने नवंबर में ब्राज़ील के शहर बेलें (Belém) में आयोजित होने जा रहा है दुनिया का सबसे बड़ा जलवायु सम्मेलन – COP30. लेकिन सम्मेलन से पहले ही सबसे बड़ी समस्या “जलवायु” नहीं, बल्कि “ठहरने की जगह” बन गई है. दुनियाभर से लगभग 45,000 प्रतिनिधियों के आने की उम्मीद है, जबकि बेलें शहर में सिर्फ 18,000 होटल बेड ही उपलब्ध हैं. नतीजा यह है कि होटल मिलना मुश्किल हो गया है और जो उपलब्ध हैं, उनकी कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं.
गरीब देशों पर दोहरी मार
होटलों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने छोटे द्वीप राष्ट्रों और गरीब देशों के लिए भागीदारी को चुनौती बना दिया है. कई देशों के प्रतिनिधि अब सम्मेलन में शामिल होने से पीछे हट रहे हैं क्योंकि होटल रेट सैकड़ों डॉलर प्रति रात तक पहुँच गए हैं.
क्लाइमेट एक्शन पर पड़ सकता है असर
यह स्थिति उस समय उत्पन्न हुई है जब अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े देशों में जलवायु नीतियों को लेकर फोकस पहले ही कमजोर दिख रहा है. ऐसे में अगर COP30 में देशों की भागीदारी घटती है, तो यह क्लाइमेट एक्शन की गति को धीमा कर सकता है. छोटे द्वीप राष्ट्र, जो समुद्र के बढ़ते स्तर से सबसे अधिक प्रभावित हैं, इस संकट को वैश्विक जलवायु न्याय के लिए गंभीर झटका मान रहे हैं.
ब्राज़ील सरकार का वैकल्पिक इंतज़ाम
ब्राज़ील सरकार ने सम्मेलन को दूसरी जगह शिफ्ट करने की संभावना से इनकार कर दिया है. सरकार की योजना है कि लव मोटल्स, क्रूज़ शिप्स और चर्चों को अस्थायी ठिकानों के रूप में इस्तेमाल किया जाए. सरकार के अनुसार, विकासशील देशों के लिए 15 कमरे 220 डॉलर से कम, जबकि अमीर देशों के लिए 600 डॉलर तक के दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे.
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने गरीब देशों के लिए आवास सब्सिडी बढ़ाने की घोषणा की है, लेकिन अब भी 81 देश होटल बुकिंग फाइनल नहीं कर पाए हैं, जबकि 87 देशों ने अपनी जगहें सुनिश्चित कर ली हैं. COP30 से पहले ब्राज़ील के बेलें में होटल संकट ने वैश्विक जलवायु वार्ता पर साया डाल दिया है. यह स्थिति न केवल मेहमाननवाज़ी की चुनौती है, बल्कि जलवायु न्याय और वैश्विक सहयोग की परीक्षा भी बन गई है.