Putin India Visit: ‘ना झुकेगा भारत, ना टूटेगा रूस’, पुतिन की भारत यात्रा पर चीन की तीखी नजर, दुनिया को मिला बड़ा संकेत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा इस समय वैश्विक राजनीति का सबसे चर्चित विषय बनी हुई है. बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों, अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीतियों और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर बढ़ते दबाव के बीच यह दौरा और भी अहम हो गया है.

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Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा इस समय वैश्विक राजनीति का सबसे चर्चित विषय बनी हुई है. बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों, अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीतियों और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर बढ़ते दबाव के बीच यह दौरा और भी अहम हो गया है. दुनिया आज एक तरह से दो धुरियों में बंटी दिख रही है, एक ओर पुतिन और दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. ऐसे माहौल में भारत और चीन जैसे एशियाई देशों का रूस को निरंतर समर्थन पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा रहा है.

भारत रूस की रणनीतिक मजबूती

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में पुतिन की इस यात्रा को “अत्यंत रणनीतिक” बताते हुए लिखा कि भारत और रूस वैश्विक परिदृश्य में महत्वपूर्ण संतुलन कायम कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार विस्तार, तकनीक और उभरती क्षमताओं पर कई बड़े फैसले ले सकते हैं. दोनों देशों के बीच 10 सरकारी समझौतों और 15 से अधिक कारोबारी डील पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.

चीन का मानना है कि यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यूरोपीय आयोग रूस के फंड्स को लेकर कठोर प्रस्ताव ला रहा है. इसलिए पुतिन का भारत पहुंचना पश्चिमी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि रूस वैश्विक मंच पर अलग-थलग नहीं हुआ है.

‘भारत–रूस साझेदारी बाहरी दबाव में नहीं आएगी’

चीन के विदेश मामलों के विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ली हाईडोंग ने कहा कि भारत और रूस के संबंध “बहुत गहरे और रणनीतिक” हैं, जिन्हें बाहरी दबाव प्रभावित नहीं कर सकता. उनके अनुसार, “न भारत झुकेगा, न रूस टूटेगा यह साझेदारी पश्चिमी दबावों की परवाह किए बिना अपने हितों के आधार पर आगे बढ़ रही है.”

ली ने यह भी कहा कि रूस अभी भी एक प्रभावशाली वैश्विक शक्ति है और पश्चिमी प्रतिबंध उसे कमजोर नहीं कर पाए हैं. दूसरी ओर, भारत अमेरिकी दबाव के बावजूद रूसी तेल खरीद जारी रखे हुए है और अपनी विदेश नीति पूरी तरह राष्ट्रीय हितों के आधार पर तय कर रहा है.

‘मोदी किसी के दबाव में नहीं आते’—चीन ने दोहराया

ग्लोबल टाइम्स ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी के हवाले से लिखा कि मोदी–पुतिन की यह बैठक भारत–रूस संबंधों की ऐतिहासिक मजबूती का प्रमाण है. उसी समय, अमेरिकी अखबार New York Times ने लिखा कि यह भारत के लिए चुनौतीपूर्ण दौर है क्योंकि अमेरिका भारत पर रूसी तेल आयात रोकने और प्रतिबंधों का पालन करने का दबाव बना रहा है.

पुतिन पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी “किसी दबाव में आने वाले नेता नहीं हैं.” उन्होंने कहा कि रूस और भारत के रक्षा, ऊर्जा और व्यापार संबंध पहले से अधिक मजबूत हो चुके हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों देशों के बीच अब 90% से अधिक व्यापार राष्ट्रीय मुद्राओं, रूबल और रुपये में होने लगा है, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम हो रही है.

एशियाई समीकरणों में भारत की भूमिका और मजबूत

पुतिन की यह यात्रा सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में एशिया की बढ़ती भूमिका का संकेत है. चीन और भारत दोनों ही रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत रखते हुए पश्चिमी दबावों को चुनौती दे रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यह यात्रा आने वाले वर्षों में वैश्विक राजनीति की दिशा बदल सकती है.