ढाका: इस्लामिक देश बांग्लादेश में शराब पीना धार्मिक रूप से हराम माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद वहां शराब की बिक्री ने इतिहास रच दिया है. देश की इकलौती सरकारी शराब कंपनी केरू एंड कंपनी लिमिटेड (Carew & Co. Ltd) ने वित्त वर्ष 2024–2025 में अब तक का सबसे बड़ा मुनाफा दर्ज किया है. कंपनी ने बताया कि उसे इस साल 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 84 करोड़ रुपये) का लाभ हुआ है, जो इसकी स्थापना के बाद से सर्वाधिक है.
केरू कंपनी बांग्लादेश की सबसे पुरानी शराब निर्माता है. इसकी शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी. आज यह पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में है. कंपनी के एमडी राबिक हसन ने बताया कि 2024–25 में कंपनी ने रिकॉर्ड मुनाफा कमाया है. उन्होंने कहा, “जब से यह कंपनी बनी है, तब से इतना बड़ा मुनाफा कभी नहीं हुआ. हमने अपने इतिहास में नई उपलब्धि हासिल की है.”
बांग्लादेश में शराब पर सख्त नियंत्रण है. यहां मुस्लिम नागरिकों को शराब खरीदने या पीने की अनुमति नहीं है, क्योंकि इस्लाम में इसे हराम कहा गया है. सिर्फ गैर-मुस्लिम नागरिक, और वो भी सरकारी परमिट के साथ ही शराब खरीद सकते हैं. इसके लिए उम्र की सीमा 21 वर्ष तय की गई है. इसके बावजूद शराब की खपत में वृद्धि चौंकाने वाली मानी जा रही है.
देश की 17 करोड़ आबादी में लगभग 10 प्रतिशत गैर-मुस्लिम हैं, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी यहां काम करते हैं, खासकर चाय बागानों में. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चाय बागानों में काम करने वाले करीब डेढ़ लाख हिंदू मजदूर केरू की सस्ती शराब के प्रमुख उपभोक्ता हैं. यही वजह है कि कंपनी की बिक्री लगातार बढ़ रही है.
कंपनी के एमडी राबिक हसन के अनुसार, सरकार इस उद्योग को इसलिए संचालित करती है ताकि देश का पैसा बाहर न जाए. उनका कहना है कि कंपनी किसी तरह की मार्केटिंग या प्रचार नहीं करती, न ही किसी नए व्यक्ति को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित करती है. वे बताते हैं, “हम केवल उन लोगों को बेचते हैं जो पहले से शराब का सेवन करते हैं.”
केरू के प्रसिद्ध ब्रांडों में Imperial Whisky और Tsarina Vodka शामिल हैं. इनका निर्माण गन्ने से किया जाता है. इन ब्रांडों की मांग स्थानीय बाजार में लगातार बढ़ रही है, खासकर उन इलाकों में जहां विदेशी या गैर-मुस्लिम आबादी अधिक है. धार्मिक पाबंदियों और सरकारी नियंत्रण के बावजूद बांग्लादेश में शराब उद्योग का यह उभार यह दर्शाता है कि सीमित बाजार में भी मांग लगातार बनी हुई है.